तपती धूप और दुश्मन बुढ़ापा…

पन्नी और टूटे छप्पर मे जीवन काट रही खलेसर की जगुआ बाई
यश कुमार शर्मा उमरिया। चिलचिलाती धूप मे अपने को पन्नी की छांव मे रख जीवन यापन करने वाली जगुआ बाई की दास्तां भी कुछ अलग है, बुढ़ापे के कारण हर छड़ रोटी के लिए तरसने वाली जगुआ का बेटा टीवी की बीमारी से आठ साल पहले ही गुजर गया था, घर पर केवल उसकी बहु और एक नाबालिग नाती ही रहते है, एक वर्ष पूर्व कच्चा मकान भी धरासाही हो गया था, जहां प्रशासन के हाथ नही पहुंच पाये थे। आज स्थिति यह है कि बूढ़ी मां और बहु पन्नी तान कर अपना गुजारा कर रहे है। इससे एक बात साफ है कि सरकार की गरीब हितग्राही मूलक योजनाएं केवल ढकोशला साबित हो रही है। इस बारें मे स्थानीय खलेसर निवासी जगुआ बाई ने बताया है कि कुछ दिन पहले पुलिस आई थी, जिसने साड़ी और खाने का सामान दिया है। वही कोतवाली टीआई वर्षा पटेल का कहना है कि मामले मे अभी कुछ हद तक मदद की गई है यथासंभव जो भी मदद होगी उमरिया पुलिस निरंतर करती रहेगी।
आठ साल से बहु धो रही बर्तन
खलेसर निवासी जगुआ बाई बर्मन ने बताया कि मेरे पति का देहांत बहुत पहले हो गया था और आठ साल पहले टीवी की बीमारी के कारण मेरे पुत्र सुरेश बर्मन की मौत हो गई थी। तब से आज तक मेरी बहु ईश्वरी बर्मन दूसरों के घरों पर बर्तन धोकर पूरे परिवार का भरण पोषण करती है।
बरसात मे गिरा था घर
पन्नी के सहारे आज एक साल से अपना जीवन यापन करने वाले इस बर्मन परिवार पर पहले से ही दुखों का अंबार था लेकिन पिछले साल हुई तेज बारिश ने कच्चा मकान भी ढहा दिया अब पन्नी तान कर इसी के सहारे हम जी रहे है। जगुआ बाई की बहु ने आवेदन भी नगर पालिका मे दे रखा है मगर गरीबों का हितैसी बताने वाली नगर पालिका ने आज तक गरीब की सुध नही ली। समाज मे अपने को अमीर कहने वाले धन्नासेठों का एक बड़ा परिवार भी निवास करता है जो केवल दिखावे की जिदंगी पर जीते हैं जबकि जीवन भर गरीबी से लड़ने वाली जगुआ बाई ही सच्ची धनवान है। जिला प्रशासन ऐसे गरीब परिवार जो कि इस लाकडाउन मे खाने तक के लिए तरस रहे है उनके लिए विशेष अभियान चलाकर उन्हें सरकारी योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचाए।