नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग प्रभारी की नियुक्ति फर्जी और करोड़ों का भ्रष्टाचार।
ई एस सो ने की तत्काल प्रभार से मुक्त करने की मांग।
जबलपुर– क्या हो यदि किसी अधिकारी की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट अवैध घोषित कर दें? क्या ऐसे व्यक्ति को पद पर बने रहना उचित है? और क्या वजह है की जिम्मेदार अधिकारी ऐसे व्यक्ति के पद पर बने रहने पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं? जबकि उस अधिकारी द्वारा विगत 4 वर्षों से लगातार घोटाले किए जा रहे हैं। इसकी शिकायत भी लगातार की जा रही है। जबलपुर संभाग केे आयुक्त महेश चंद्र चौधरी केेे कार्यालय में ज्ञापन सौंपते हुए। ये सुलगते हुए सवाल खड़े किए हैं अखिल भारतीय इंजीनियरिंग छात्र संगठन ने। मीडिया से बात करते हुए यह संगठन की तरफ से पवन देवक ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिनांक 24 जनवरी 2013 से भूपेंद्र सिंह के संबंध में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 28 फरवरी 2006 के तत्काल प्रभाव शील हो जाने के कारण भूपेंद्र सिंह का वर्तमान पद स्टेटस उपयंत्री का हो गया है।
नगर निगम में भूपेंद्र सिंह का सहायक यंत्री पर किया गया संविलियन अवैध हो गया। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेश पारित किया गया था। लोकायुक्त पुलिस को भी अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल रही है। नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में अपर आयुक्त के प्रभार संभाल रहे भूपेंद्र सिंह के विरुद्ध अपराध लोकायुक्त पुलिस जबलपुर द्वारा दर्ज किया गया। जिसमें भूपेंद्र सिंह समेत चार अन्य अधिकारियों के विरुद्ध आरोप सिद्ध हुए। इन सभी के द्वारा पद का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हुए। इन पर नगरीय प्रशासन द्वारा अभियोजन की स्वीकृति दे दी गई है। नगर निगम जबलपुर द्वारा अन्य अधिकारियों के मामले में स्वीकृति दे दी गई है लेकिन भूपेंद्र सिंह बघेल के विरुद्ध स्वीकृति नहीं दी गई है। इसलिए इंजीनियरिंग छात्र संगठन ने 48 घंटे के अंदर अभियोजन की स्वीकृति की मांग आयुक्त महोदय से करता है। भूपेंद्र सिंह पर 2018 में लोकायुक्त पुलिस ने जेडीए में किए गए घोटाले और भ्रष्टाचार के विरुद्ध याचिका प्रस्तुत की गई थी। इस याचिका में विभिन्न धाराओं के तहत मामला चल रहा है। लेकिन नगर निगम प्रशासन ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर मेहरबान क्यों है? इस अधिकारी द्वारा ठेकेदारों की मिलीभगत से नगर निगम का सारा खजाना लूट कर अपनी तिजोरियां भरी गई है। आरोप सिद्ध होने के बावजूद भी लगातार लूट का सिलसिला जारी है। सफाई के ठेके डोर टू डोर कचरा कलेक्शन जैसे कामों में अपने मनपसंद के लोगों को ठेका दिलवाकर मोटा कमीशन अधिकारी द्वारा कमाया गया। इन ठेकों की ना तो कभी कोई जांच हुई ना कोई कार्यवाही हुई। संगठन इस विषय में मांग करता है कि ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और शासन प्रशासन को हुए नुकसान की भरपाई की जाए। यदि सात दिवस के भीतर इस अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं की गई संगठन उग्र आंदोलन करेगा। नगर निगम परिसर में आमरण अनशन भी करेगा।
आज ज्ञापन के दौरान ईएसओ के के राष्ट्रीय महासचिव पवन देवक ,राजकुमार चक्रवर्ती, आसिफ अली, विपिन दत्ता, आर्यन यादव, नौशाद खान, सौरभ यादव, राज रवि चक्रवर्ती, प्रह्लाद कोरी, राकेश चक्रवर्ती, प्रवीण गोटिया ,निक्की मालिक समेत अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।