नर्मदा गौ कुंभ नहीं ये संत सम्मेलन होना चाहिए: सरोज कांडा
जबलपुर। ग्वारीघाट में आयोजित मां नर्मदा के तट पर स्थित नर्मदा कुंभ के आयोजन पर जहां एक और शहर में उत्साह है वहीं दूसरी ओर इस आयोजन पर सवाल भी उठने लगे हैं। सर्वधर्म महिला मंडल की अध्यक्षा सरोज कांडा का कहना है कि मां नर्मदा के तट पर कुंभ के आयोजन का वर्णन पूर्व काल में कहीं भी नहीं मिलता। इंडियन कॉफी हाउस में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में सरोज कांडा ने बताया कि आदिकाल से मां नर्मदा शिव का रूप है। मां नर्मदा अपने तट पर आने वाले सभी श्रृद्धालुओं साधु संतों का उद्वार करती हैं। मां नर्मदा के तट पर कल्चुरी राजवंश के राजा कर्ण के द्वारा कई मंदिरों का निर्माण भी कराया गया। इतना सब होने के बावजूद भी कहीं भी कुंभ का वर्णन नहीं आता। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार अमृत मंथन के बाद दुनिया के जिन चार हिस्सों में अमृत कुंभ से अमृत के छलक कर गिरने का वर्णन आता है केवल उन्हीं स्थानों पर कुंभ के आयोजन का वर्णन है। इसलिए मां नर्मदा के तट पर यह आयोजन सरासर गलत है। नागा साधुओं का स्नान करना भी उचित नहीं क्योंकि स्वयं कुंवारी हैं। नागा साधुओं का बिना लंगोट की स्नान करना वर्जित है।