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एनजीटी की गाइडलाइंस से डेयरी मालिकों में असमंजस की स्थिति।

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कलेक्टर से मुलाकात कर सौंपा ज्ञापन।

जबलपुर। जबलपुर शहर दुग्ध उत्पादन में एक अग्रणी भूमिका निभाता है। सन 1975 में शासन द्वारा गजट का प्रकाशन किया गया था और इसी माध्यम से डेरियों को परियट नदि के पास लाकर बसाया गया था। विगत 45 वर्षों में डेरी में आने वाले सभी पशुपालकों ने बैंक से कर्ज लेकर न्य्य गोदाम शेड, जरूरत के अनुरूप निर्माण करवाए हैं ।राष्ट्रीय कृत बैंकों से लोन ले रखा है 200 से ज्यादा पशुपालकों ने करीब 100 करोड़ का लोन लिया हुआ है। इन तमाम बातों के मद्देनजर डेरी संचालकों की मांग है कि शासन प्रशासन द्वारा जो भी निर्णय लिया जाए उसमें उनकी भूमिका हो। एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार पशुपालकों को विस्थापित किया जाता है। तो डेयरी मालिकों को उनकी मौजूदा पशु संख्या के आधार पर जमीन उपलब्ध कराई जाए। पूर्व में भी इस दिशा निर्देश में प्रशासन द्वारा गांवों को अन्य स्थानों में प्रशासन द्वारा माननीय हाईकोर्ट के निर्देश पर की गई थी। पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। निवेदन है कि 90 साल की लीज पर सड़क बिजली पानी की व्यवस्था कर जमीन उपलब्ध कराई जाए। ताकि पशुपालक अपना जीवन यापन कर सकें। ज्ञापन सौंपने में गुरमीत सिंह मखीजा, मंटा भावरी, अशोक सिडाना, भगवानदास, सौरव सेठी, संजीव खत्री, अमृत मखीजा, संजय मखीजा उपस्थित रहे।

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