रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर
छात्रों के हितों की अनदेखी पर कुलगुरु को सौंपा ग्यारह सूत्रीय मांगो का ज्ञापन
जबलपुर दर्पण। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर आज जबलपुर एनएसयूआई ने पूर्व जिला अध्यक्ष सागर शुक्ला और अदनान अंसारी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष 11 महत्वपूर्ण बिंदुओं जिसमे कर्मचारी राजेंद्र कुशवाह को सेवा से बर्खास्त करने, पीएचडी प्रवेश परीक्षा ugc नियम अनुसार आयोजित करने तथा विश्विद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने, नवीन पाध्यक्रम शुरू करने, प्रवेश प्रकोष्ठ का गठन करने, परीक्षा विभाग कर्मचारियों का अन्य विभागों में ट्रांसफर करने, मैन पावर ऑडिट कराने एवं तथा विश्विद्यालय से संबंधित सूचना वेबसाइट पर प्रदर्शित करने की संगठन ने मांग करते हुए अनियमितताओं का शीघ्र निराकरण करने संबंधित एक ज्ञापन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कुलगुरु, कुलसचिव एवं छात्र अधिष्ठाता को संयुक्त रूप से सौंपा।
एनएसयूआई के सागर शुक्ला, अभिषेक सेठी ने बताया कि विश्वविद्यालय मे पिछले दिनों लोकायुक्त पुलिस द्वारा छात्रों से डिग्री के एवज मे रुपयों की मांग करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रांजेंद्र कुशवाहा को प्रशासन ने निलंबित करने की कार्यवाही की है। ज्ञात हो पहले भी कई बार उपरोक्त कर्मचारी के खिलाफ प्रशासन को शिकायतें सौंपी गई है, परंतु इनके विरूद्ध कोई ठोस कार्यवाही सुनिश्चित नही की गई। इसी के परिणामस्वरूप इनके हौसले इतने बुलंद थे की खुलेआम विश्वविद्यालय परिसर मे भ्रष्टाचार कर रहे थे। कर्मचारी राजेंद्र कुशवाहा विश्वविद्यालय के कर्मचारी संघ का उपाध्यक्ष भी है। परंतु विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के आधे से ज्यादा कर्मचारियों ने इस्तीफे विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपे थे। नियमानुसार कुलगुरु विश्वविद्यालय के कर्मचारी संघ के पदेन संरक्षक होते है। ऐसे मे कर्मचारी संघ के आधे सदस्यों द्वारा त्यागपत्र सौंपने के बाद भी कुलगुरू के द्वारा क्यों कोई कार्यवाही न होने से ही ऐसे भ्रष्ट तत्वों के कारण विश्वविद्यालय के कर्मचारियों अधिकारियों की भी छवि धूमिल हुई है। ऐसे व्यक्तियों के कारण विश्वविद्यालय की सर्वोच्च प्राथमिकता जो उसमे अध्यनारत छात्र है उनसे अवैधानिक तरीके से वसूली करके उनके हितों का हनन किया जा रहा है। संगठन मांग करता है कि इन्हें सेवा से बर्खास्त करने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। ऐसे कर्मचारियों को शिक्षा के मंदिर मे संरक्षण देकर विश्वविद्यालय प्रशासन सर्वोपरि छात्रों के हितों से समझौता कर रहा है।
विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर मे स्थित पूछताछ खिड़की मे अवैध रूप से दूसरे विभागों के भी कर्मचारी/अन्य लोग जमघट लगाए रहते है जिससे छात्रों मे भी रोष रहता है और उनकी शिकायतों का प्रभावी निराकरण नही होता। मुख्य परिसर में स्थित पूछताछ खिड़की मे सहायक कुलसचिव स्तर के अधिकारी की उपस्तिथि सुनिश्चित की जाए ताकि छात्रों की समस्या का त्वरित निराकरण सुनिश्चित किया जा सके एवं उन्हें भटकना न पड़े।
संगठन ने PhD में प्रवेश के लिए UGC NET को अनिवार्य करने और मनोविज्ञान जैसे रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की शुरुआत करने तथा पूर्व मे प्रकाशित होते रहे शोध पत्र “विश्लेषण” को पुनः आरंभ करने एवं नए सिरे से इसके प्रभारी की नियुक्ति करके शोध पत्र को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संलग्न केयर लिस्ट मे शामिल कराने हेतू सार्थक प्रायस किए इससे न केवल छात्रों को नई शिक्षा सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता भी बढ़ेगी।विश्वविद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए पूर्व सैनिकों की नियुक्ति का भी प्रस्ताव एनएसयूआई ने विश्विद्यालय प्रशासन को दिया है, ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके एवं परीक्षा विभाग में लंबे समय से कार्यरत कर्मचारियों के स्थानांतरण की मांग की है, ताकि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के स्पष्ट निर्देश है कि सभी विश्वविद्यालयों को अपनी वेबसाइट पर उसके सभी हितग्राहियों की सूचना के लिए आवश्यक सामग्री का प्रदर्शन जिसमे प्रमुख रूप से IDP (Insitutional Development Plan), लोकपाल, छात्र निवारण समितियों की सूचना, छात्रों के लिए कैम्पस मे उपलब्ध संसाधन, सूचना का अधिकार आदि अनिवार्य किया गया है। परंतु विश्विद्यालय द्वारा आज तक इन जानकारी को न विश्विद्यालय में न ही वेबसाइट पर उपलब्ध कराया है।
ज्ञापन में मुख रूप से सागर शुक्ला, अदनान अंसारी, अभिषेक सेठी, एजाज अंसारी प्रतीक गौतम, सक्षम यादव, सैफ मंसूरी, सैफ अली, अंकित कोरी, आयुष गौतम, अनुराग शुक्ला, वकार खान उपस्थित रहे।