भद्राकाल में कदापि न बांधे राखी
मंडला दर्पण। इस साल रक्षाबंधन पर भद्राकाल लगने वाला है, जिसके चलते त्यौहार की तारीख को लेकर बड़ा कन्फ्यूजन फैल गया है।
इस संबंध में रेवाखण्ड के प्रसिद्ध कथावाचक एवं ज्योतिर्विद आचार्य किशोर उपाध्याय ने बताया कि- रक्षाबंधन का त्यौहार 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा।
पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त बुधवार को 10:58 से प्रारंभ है, जो 31 अगस्त को प्रातः 7:05 बजे तक है।
किन्तु पूर्णिमा के प्रारंभ समय से ही भद्राकाल लग रहा है जो रात्रि 9:01 बजे तक रहेगा। अर्थात 30 अगस्त की रात्रि 9:02 बजे (भद्राकाल समाप्ति के पश्चात) से 31अगस्त के प्रातः 7:05 बजे तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है।
क्या है भद्रा – ज्योतिष शास्त्रानुसार कालगणना या पंचांग में 11 करण होते हैं। जो अपने काल को शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। जिनमें 7वां विष्टि करण है जिसे भद्रा भी कहते हैं।
इस करण के काल में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य करने से अनिष्ट फल मिलता है।
आचार्य जी ने स्पष्ट किया है कि- यद्यपि आज के युग में धर्म और ज्योतिष को मानकर चलने वाले कम हैं। किन्तु ग्रहदशा का फल मिलना तो निश्चित रहता है।भ्रात-भगिनी के इस पावनपर्व में आचार्य जी ने सभी क्षेत्रवासियों को सुखमय एवं आनंदमय जीवन की मंगलकामनाएं प्रदान करते हुए अपील की है कि- आज बुधवार को रात्रि 9:01 बजे तक भद्रा के अनिष्ट योग में किसी भी स्थिति में राखी ना बांधे/बंधावे।