कांग्रेस के चार आदिवासी विधायकों ने दिन भर भूखे रहकर किया लोकतांत्रिक प्रदर्शन
मण्डला। प्रदेश की भाजपा सरकार के द्वारा विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त का घोषित अवकाश निरस्त करने और आदिवासी समाज की मांग पर पुनः अवकाश घोषित नहीं किये जाने के विरोध में जिले की बिछिया विधानसभा के कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा, निवास विधायक डॉ अशोक मर्सकोले के साथ पूर्व मंत्री व डिंडोरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम, शहपुरा विधायक भूपेंद्र मरावी ने जिला मुख्यालय के रानी दुर्गावती स्मारक के समक्ष एक दिवसीय भूख हड़ताल कर लोकतांत्रिक तरीके से प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया। 7 अगस्त को आयोजित पत्रकार वार्ता में बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा ने इस एक दिवसीय भूख हड़ताल की घोषणा की थी, उसी के परिपालन में यह भूख हड़ताल की गई, जिसे जिले भर के आदिवासी समाज के नागरिकों सहित अन्य समाजों का भी समर्थन मिला। सुबह 10 बजे से शुरू हुई इस भूख हड़ताल के पहले विधायको ने रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। सुबह से हड़ताल को समर्थन देने वाले नागरिकों का हड़ताल स्थल पर आना जाना लगा रहा। आदिवासी समाज के नागरिकों के साथ ओएसएस व अन्य समाज के नागरिकों का पूर्ण समर्थन इस विरोध प्रदर्शन को मिला। इस दौरान आदिवासी समाज के कांग्रेस के चारों विधायकों ने संयुक्त रूप से अपना वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि भाजपा की सरकार आदिवासी समाज की हमेशा से ही विरोधी रही है। इनकी सरकार ने समाज को कुछ दिया तो नहीं बल्कि जो समाज के पास है उसे भी छीनने की कोशिश में लगे हुए हैं। हमारे आदिवासी समाज की मुख्य पहचान हमारी सबसे पुरातन और प्रकृतिवादी संस्कृति है जिसके सम्मान में यूएनओ ने भी विश्व आदिवासी दिवस की घोषणा की है लेकिन वर्तमान सरकार इस दिन के महत्व को ही खत्म करने की कोशिश में जुटी हुई है। आदिवासी समाज की परंपरा संस्कृति और पहचान के पर्व विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेश की सरकार पहले तो अवकाश घोषित करती है फिर समाज का अपमान करते हुए इस अवकाश को निरस्त कर देती है। यह सरकार की कोई भूल नहीं बल्कि उनके द्वारा जानबूझकर षडयंत्र के साथ किया गया कृत्य है। आदिवासी समाज के नागरिक के दायित्वबोध के साथ हमने इसका एक माह पहले से ही विरोध करना शुरू कर दिया था। हम राज्यपाल से भी मिले मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक सभी को पत्र लिखकर अवकाश घोषित करने और विधानसभा सत्र की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की, लेकिन प्रदेश की सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता के चलते ये मांगे नहीं मानी गई इसके चलते हमने गांधी जी के सिद्धांतों का अनुपालन किया और भूख हड़ताल करके लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध भी दर्ज कराया और अवकाश घोषित करने की मांग अंतिम बार की। बात यहां सिर्फ अवकाश की नहीं है बल्कि मुख्य बात समाज के सम्मान और अपमान की है। विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन तो होगा और हर बार से कहीं ज्यादा बड़ा और प्रभावशाली होगा, गांव गांव घर घर आयोजन होंगे, ये सरकार और प्रशासन हमें रोक नहीं सकते। विश्व आदिवासी दिवस मनाने के लिए प्रत्येक गांव व ब्लॉक मुख्यालय हेतु कार्यक्रम निर्धारित हो चुके हैं। जिला मुख्यालय में दोपहर 2 बजे गोंगो पूजन के बाद 3 बजे से विशाल रैली निकाली जाएगी, जो मण्डला स्टेडियम के पास से प्रारंभ होकर अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष संविधान की उद्देशिका के वाचन के साथ रैली शुरु होगी जो बिंझिया चौराहा नेहरू स्मारक होते हुए रानी दुर्गावती स्मारक पहुंचेगी जहां माल्यार्पण के पश्चात कार्यक्रम समापन होगा। इस हेतु जिले के समस्त आदिवासी मूलनिवासी समाज के नागरिकों से उपस्थिति की अपील भी की गई। शाम 5 बजे आदिवासी समाज के नागरिकों ने बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा, निवास विधायक डॉ अशोक मर्सकोले, डिंडोरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम, शहपुरा विधायक भूपेंद्र मरावी को जूस पिलाकर भूख हड़ताल समाप्त करवाई गई।