जबलपुर दर्पण पाटन ब्यूरो। भारतीय जनता पार्टी ग्रामीण क्षेत्रों की नगर पालिका परिषद में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में दो-दो हाथ करने वाले भाजपा के बागी नेता पार्टी को आंखे दिखा रहे है। मजेदार बात यह है की भाजपा ग्रामीण के नेताओं ने एक भी भाजपा के बागी नेता को अभी तक पार्टी से बाहर का रास्ता दिखने की हिम्मत नही जुटा पाए है। कारण भी वाजिब है। आने वाले समय में विधान सभा के चुनाव होना है। कही यह निष्कासन विधान सभा चुनाव में पार्टी के लिए भारी न पड़ जाए, बस यही कारण है सभी भाजपा के बागी प्रत्याशी अपनों से ही चुनाव लडने तैयार है। वैसे भी पाटन विधान सभा हमेशा ही सुर्खियों में रहती है। यहां पल-पल समीकरण बदलते रहते हैं। कब कौन किसका दुश्मन बन जाय और कब दुश्मन दोस्त बन जाए यह निर्भर करता है परिस्थिति पर,बस यही कारण है कि पार्टी यहां फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। जिससे विधान सभा चुनाव में भाजपा के लिए क्षेत्रीय स्तर पर कोई मुश्किल खड़ी ना हो जाय,तभी तो नगर परिषद के द्वितीय चरण में पार्षद का चुनाव लडने वाले भाजपा से बागी हुए प्रत्याशी पर अभी तक अनुशासनहीनता की कार्यवाही नही हुई। जबकि नगर भाजपा ने कई बागी प्रत्याशी को पार्टी की सदस्या से 6 साल के लिए निष्कासित कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। भाजपा ग्रामीण संगठन की चूक के कारण सबसे ज्यादा पार्षद का चुनाव लडने वाले बागी प्रत्याशी पाटन नगर परिषद में चुनाव लड़ रहे है। बताया जा रहा है। 15 वार्डो में बागियों के चुनाव लडने से भाजपा की जीत का गणित बिगड़ सकता है। भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी बार-बार संगठन से शिकायत कर पार्टी से बागियों के विरुद्ध अनुशासन का चाबुक चलाने का अनुरोध कर रहे है। लेकिन ग्रामीण बीजेपी सगठन की हीला-हवाली से बागियों के हौसले बुलंद हैं। जबकि प्रदेश नेतृत्व के निर्देश पर नगर परिषद चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के विरुद्ध चुनाव लड़ने को अनुशासनहीनता मानते हुए सक्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है। अनुशासनात्मक कार्रवाई न होने के कारण,पार्टी में यह चर्चा का विषय बना है।