सरपंच जनपद जिला पंचायत मिल जाए तो गुरु अपनी तकदीर बदल जाए

एक ही परिवार के सदस्य तीनों पदों के दावेदार
जबलपुर दर्पण संभाग ब्यूरो राजेंद्र त्रिवेदी। पुरानी कहावत है कहते हैं लालच बुरी बला है लेकिन राजनीति में शायद ऐसा कुछ नहीं राजनीति संभावनाओं का खेल है ऐसा ही कुछ नेता जी को दिख रहा है जनता की सेवा न कभी की है न करना है ना हुई है ना होगी लेकिन पद सभी चाहिए आखिर घर की परिवार की रिश्तेदारों की अपनों की सेवा जो करनी है मलाई जो खानी है शायद यही सोच कर एक ही घर से तीन तीन उम्मीदवार उतार दिए गए कोई पद बाकी ना रहे सब में अपना ताज हो अपना अधिकार हो यह सपना सच हो कर बैठे हैं बहुत से नेता लेकिन यह नहीं जानते कि भाग्यविधाता तो जनता है जनता की मोहर लगनी है तुम्हारे चिल्लाने से कहने से कुछ नहीं होता आजकल की नेतागिरी अपने परिवार रिश्तेदार अपने चेला छल्लो तक सीमित होकर रह गई है।
सत्ता का लालच नेताओं से कुछ भी करा सकता है ,ऐसा ही मामला सामने आया है जहां एक ही घर से 3 पदों पर प्रत्याशी खड़े हुए हैं, सत्ता की मलाई का स्वाद चखने के लिए अमित पटेरिया ने अपनी पत्नी और मां को भी चुनावी समर में उतार दिया है,जहां अमित पटेरिया खुद ईशानगर वार्ड से जिला पंचायत का चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं अपनी पत्नी को उन्होंने जनपद सदस्य का प्रत्याशी बनवा कर चुनावी मैदान में उतार दिया है, वहीं दूसरी ओर उनकी मां सरपंच का चुनाव लड़ रही हैं ,सत्ता की मलाई की चाहत में एक ही परिवार से 3 प्रत्याशी मैदान में है ,वही बता दें अमित पटेरिया का नाम चर्चा में उस समय आया था जब Boi( बैंक ऑफ इंडिया) में बड़ा केसीसी घोटाला हुआ था ,उस समय यह भी आरोप लगे थे कि मैनेजर से सांठगांठ कर अमित पटेरिया द्वारा एक बड़ा घोटाला किया गया है, हालांकि यह मामला कागजों में दफन हो गया था ,और मैनेजर पर कार्यवाही भी हुई थी,लेकिन केसीसी घोटाले में मास्टरमाइंड रूप में उस समय अमित पटेरिया का नाम सबसे ऊपर था ,देखना होगा कि सत्ता की मलाई की लालच में 3 पदों पर एक ही परिवार के सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं ,और यह तो तय है कि यह पब्लिक है सब जानती है अब तो यह समय ही बताएगा कि यह जीत का जश्न मनाते हैं या हार का स्वाद इन्हें चखना होगा,यह तो वहां के वोटर ही तय करेंगे।