श्रीश्री ने की नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापना, सत्संग
प्रार्थना करों और प्रसन्न रहो: श्रीश्री
जबलपुर दर्पण। प्रार्थना करो और प्रसन्न रहो, आप आम का पौधा लगाते हैं तो जिस दिन लगाते हैं उसी दिन वह फल नहीं दे देता। हमें विश्वास और विश्राम करना होता है जिसके बाद फल मिलता है। वैसे ही विश्वास और विश्राम आपकों ईश्वर भक्ति में करना होता है। आप प्रार्थना करें और प्रसन्न रहें। भक्तों के चेहरों में जो सुंदरता हो वह कहीं नहीं होती। मन में भक्ति हो तो सुंदरता आती है। उन्होंने कहा कि सोहम से ही ईश्वर है। हमारी आत्मा जो चेतना है वही सभी जगह है। हम जो हैं हमारे प्रतिबिंब है। ओम में ही ब्रम्हा विष्णु महेश हैं, ओम से ही सोहम बना, सोहम से गुरुओम बना और इसी से ओम नम: शिवाय बना। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक आध्यात्मिक गुरु परम पूज्य पद्म विभूषित श्रीश्री रविशंकर जी ने यह बात शुक्रवार को लम्हेटाघाट, गोपाल पुर के समी नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठा समारोह के दौरान हजारों की संख्या में एकत्रित श्रद्धालुओं से कही।उन्होंने सुबह प्राण प्रतिष्ठा के बाद हजारों की संख्या में एकत्रित भक्तों को दर्शन दिए। प्रदेश के कई शहरों से आए हुए जो भक्त इसमें शामिल थे। एक एक व्यक्ति तृप्त होकर गया कई लोगों ने गुरुदेव को भेंट स्वरूप कई उपहार दिए और गुरुदेव के आशीर्वाद सबको प्राप्त हुआ।
जीवन में आश्चर्य ही योग का प्रवेश
हम प्रतीक्षा करते हैं हम यदि प्रतीक्षाओं का स्वागत करते हैं तो ध्यान में जीवन आ जाता है तो सब सुगम होने लगता है। जीवन में सारी खुशियां आने लगती हैं। हर प्रश्न के सही जवाब मिलने पर मन हाँ कहता है। जब हाँ कहता है तो मन शांत होता है। जीवन को यदि प्रश्न या आश्चर्य बनाओगे, विस्मय से भरोगे तो जीवन में योग का प्रवेश होगा। जीवन आश्चर्य से भर जाए तो योग की शुरुआत होती है। यह बात जबलपुर प्रवास के दौरान आध्यात्मिक गुरु परम पूज्य पद्म विभूषित श्रीश्री रविशंकर ने होटल शौन एलिज़े होटल में आयोजित कार्यक्रम ज्ञान के मोती कार्यक्रम के दौरान कही। इस कार्यक्रम में उपस्थिति पंजीयन के माध्यम से होने के बावजूद गुरुदेव के भक्त सैकड़ो की संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम का प्रारंभ आर्ट ऑफ़ लिविंग के सीनियर टीचर व विश्व विख्यात गायक श्री गौतम डबीर जी, रीना महोबिया और आदित्य तिवारी के मधुर स्वर में प्रथम पूज्य भगवान गणेश के भजन से हुआ। तत्पश्चात् आर्ट ऑफ़ लिविंग बच्चों के कार्यक्रमों की शिक्षिका गरिमा खंडेलवाल द्वारा आर्ट ऑफ़ लिविंग बच्चियों द्वारा इंट्यूशन प्रोग्राम के माध्यम से किस तरह से आँख में पट्टी बांध कर बिना देखे ना सिफऱ् पढ़ा, लिखा जा सकता है, अपितु वस्तुओं को बिना देखे उनकी पहचान बताई जा सकती है व चित्रकला व अन्य कलाएँ भी वर्णित की जा सकती हैं। कार्यक्रम में वीडियो के माध्यम से गुरुदेव के जीवन पर भी प्रकाश डाला गया व सभी आगंतुकों, श्रद्धालुओं व अनुयाइयों को अवगत करवाया गया की किस तरह गुरुदेव के प्रयासों से लाखों लोग व सैंकड़ो देशों के हालत सुधरे, किस तरह ख़तरनाक आतंकवादियों के जीवन में अहिंसा के मार्ग में लाया। तत्पश्चात् गुरुदेव का भव्य आगमन हुआ और श्रध्दालुओं ने फूल माला जयकारे के साथ उनका ज़ोरदार स्वागत किया। स्वागत कैलाश गुप्ता और आशीष कोठरी ने किया। गुरुदेव की उपस्थिति से अनुयायी भाव विभोर हो गए व उनके आँखो में श्रद्धा के मोती देखे गए। कार्यक्रम में ज्ञान के मोति बिखरने के बाद श्रीश्री ने उपस्थित जनों को ध्यान के अद्भुत सागर में गोते लगवाए। जबलपुर प्रवास का संयोजन आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षक नवीन बरसाइयां, आशीष पटेल, ऋतु राज असाटी, संदीप तिवारी, ललित बक्षी, अमन लुंबा, प्रमोद चैतन्य एवं अन्य ने किया।