नशा मुक्त होकर टीबी मुक्त भारत बनाने में योगदान दे युवा
जबलपुर दर्पण। 24 मार्च विश्व क्षय (टीबी) दिवस पर मिशन 2025 टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत शांतम प्रज्ञा आश्रम नशा मुक्ति, मनो आरोग्य, दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शांतम प्रज्ञा आश्रम नशा मुक्ति मनो आरोग्य दिव्यांग पुनर्वास केंद्र गोहलपुर नर्मदा नगर में उपचार ले रहे नशा पीड़ित मरीजों को आश्रम के संचालक क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मुकेश कुमार सेन द्वारा टीबी बीमारी के विषय में बताया गया। पूरी दुनिया में 24 मार्च को क्षय रोग यानी टीबी (TB) के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ‘विश्व टीबी दिवस’ (World Tuberculosis Day ) मनाया जाता है। इसे विश्व तपेदिक दिवस, विश्व क्षयरोग दिवस (Tuberculosis) भी कहा जाता है। हर साल इस दिवस को सेलिब्रेट करने का कोई ना कोई थीम (Theme of World TB Day ) होती है। इस बार की थीम “Yes, We can end TB” जिसका अर्थ है कि हां, “हम टीबी का अंत कर सकते हैं”. इस थीम के जरिए लोगों को टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए मोटिवेट करने का प्रयास किया जा रहा है.
, ऐसे में टीबी रोग को जड़ से खत्म करने का यही समय है। ग्लोबल लीडर्स द्वारा टीबी को जड़ से खत्म करने की जो प्रतिबद्धता (Commitments) ली गई थी, उस पर कार्य करने का यही समय है, क्योंकि दुनिया के हाथ से वक्त का पहिया निकला जा रहा है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार विश्व में लगभग 2 अरब से ज्यादा लोगों को लेटेंट (सुप्त) टीबी संक्रमण है.सम्पूर्ण विश्व में टीबी को जड़ से समाप्त करने संकल्प लिया गया है। भारत में भी केंद्र सरकार द्वारा मिशन 2025 टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत भारत को 2025 तक टीबी पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।भारत इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित एशियाई देश है. हमारे पास ट्यूबरक्लोसिस से बचाव के लिए कई सुविधाएं हैं लेकिन फिर भी भारत में ट्यूबरक्लोसिस का खतरा अधिक है. टीबी अभी भी दुनिया में सबसे घातक संक्रामक हत्यारा रोगों में से एक है. हर दिन करीब 4100 लोग टीबी से अपनी जान गंवाते हैं. अनियंत्रित डायबिटीज के पेशेंट, एचआईवी पेशेंट, इम्यूनोथेरेपी पेशेंट, कैंसर पेशेंट, स्टेरॉयड और कुपोषण के पेशेंट नशा पीड़ित में ट्यूबरक्लोसिस का खतरा अधिक होता है.
नशे के कारण भी टीबी होने की काफी संभावना रहती है बीड़ी, सिगरेट,गांजा,स्मैक आदि धुंए वाले नशे से टीबी होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए युवा नशा छोड़ भारत को टीबी मुक्त बनाने में सहयोग करें।
इस अवसर पर आश्रम संचालक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट मुकेश कुमार सेन, संतोष अहिरवार, आदि सदस्य उपस्थित रहे। मरीजों सहित सभी ने टीबी दिवस पर नशा मुक्त रहने का संकल्प लिया।