डेपुटेशन पर गये कर्मचारियों को मूल विभाग में भेजा जाए
जबलपुर दर्पण। मध्य प्रदेष जागरूक अधिकारी कर्मचारी संगठन के प्रांताध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष राॅबर्ट मार्टिन ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि प्रदेष के 56 विभागों में देखा जा रहा है कि उनके कर्मचारी और अधिकारी डेपुटेषन या यू कहें कि प्रतिनियुक्ति पर अपने विभाग को छोड़ कर अन्य विभागों में या फिर अपने कार्यालय, संस्था को छोड़ कर अन्य कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर गए हुए है जो वापस आने का नाम ही नहीं लेते। वजह यह है कि उनकी अन्य कार्यालयों के अधिकारियों से सांठगांठ के चलते वे अपने विभाग या कार्यालय एवं संस्था में वापस जाना नहीं चाहते। यही वजह है कि प्रतिनियुक्ति का समय समाप्त होने के बावजूद भी वे वहीं ठटे रहते हैं जिससे उनके मूल विभाग, कार्यालय या संस्था का कार्य प्रभावित होता है।
संघ ने आगे बताया कि किसी भी कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति सिर्फ 3 वर्ष के लिए ही दी जाती है विषेष परिस्थितियों में 1साल की वृद्धि की जा सकती है उससे ज्यादा नहीं। परंतु वरिष्ठ अधिकारियों की महरवानी के चलते ये कर्मचारी तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद भी प्रतिनियुक्ति वाले पदों पर डटे रहते है और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को साहबगिरी दिखाते हुए प्रताड़ित भी करते हैं जिससे अन्य कर्मचारी मान्सिक दवाब में रहते है। साथ ही इन प्रतिनियुक्ति पर जमे अधिकारियों/कर्मचारियों के कार्यालय एवं संस्थाएं प्रभावित होती है एवं वहां का कार्य सुचारूरूप से नहीं चल पाता। अतः इन्हे इनके मूल कार्यस्थलों पर वापस किया जाना चाहिए।
संघ के जिलाध्यक्ष-राॅबर्ट मार्टिन, जियाउर्रहीम, राकेश श्रीवास, दिनेश गौड़, हेमंत ठाकरे, गुडविन चार्ल्स,राजकुमार यादव, रऊफ खान, फिलिप अन्थोनी, विनोद सिंह, उमेष सिंह ठाकुर, सुनील झारिया, क्रिस्टोफर नरोन्हा, एनोस विक्टर, मनीष मिश्रा, राजेन्द्र सिंह, रामदयाल उईके, धनराज पिल्ले, सुधीर अवधिया, आबिद खान, अफरोज खान, देवेन्द्र पटेल, मनीष झारिया, सुधीर पावेल, गोपीषाह, रवि जैन, नेत राम, नीरज मरावी, वीरेन्द्र श्रीवास, विजय झारिया, सुनील स्टीफन, विनय रामजे, रामकुमार कतिया, सरीफ अहमद अंसारी, आषीष कोरी, प्रदीप पटेल, मनीष मिश्रा, संतोष चैरसिया, एस.बी.रजक, अजय मिश्रा, सुखराम विष्वकर्मा, रामाधर चैधरी, आदि ने विभाग प्रमुखों से मांग की है कि उनके अधीनस्थ ऐसे कर्मचारी जो प्रतिनियुक्ति पर अन्य विभागो, कार्यालयों में तीन वर्ष से ज्यादा हो जाने के बावजूद जमंे हुए है उन्हे नियम के तहत अतिषीघ्र उनके मूल कार्यस्थलों पर भेजा जाए।