19 किलोमीटर की दूरी पर दो टोल नाके:गुंडागर्दी में अव्वल,सुविधाओं में फिसड्डी
बिना पहचान पत्र और पुलिस वेरीफिकेशन के दर्जनों आपराधिक प्रवृत्ति के युवा कर रहे टोल बूथो पर वसूली
पाटन,जबलपुर दर्पण। पाटन थानांतर्गत आने वाले जबलपुर तेंदूखेड़ा स्टेट हाइवे पर टिमरी एवं गाड़ाघाट टोल बूथ से वाहन चालकों से टोल राशि वसूली जा रही है वही दोनों टोल बूथ की दूरी महज 19 किलोमीटर बताई जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की माने तो 60 किलोमीटर की दूरी तय करने पर ही वाहन चालकों से टोल लिया जाना चाहिए। ग्रामीणों का कहना है कि राज्य सरकारें अपना राजस्व बढ़ाने के लिए ऐसा करती हैं जो गलत है ऐसा उन्हें नहीं करना चाहिए। वही ज़िम्मेदार कहते है कि हम तो जबलपुर पाटन व्हाया शहपुरा मार्ग का टोल ले रहे हैं जिसमें कार एवं सवारी बसों को टोल टैक्स में छूट है। टिमरी टोल प्लाजा में सिर्फ कमर्शियल ट्रक टेम्पो महिंद्रा पिकअप वाहनों से ही टोल राशि वसूली जाती है। ज़िम्मेदार यह भी बताते है कि पाटन मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर संचालित गाड़ाघाट टोल बूथ सागर संभाग के अंतर्गत आता है सही मायने में उसे दमोह जिले की सीमा पर स्थापित होना चाहिए था यह टोल बूथ सागर एमपीआरडीसी के अधीन है। यह टोल बूथ पाटन तहसील के ग्राम गाड़ाघाट में स्थित है।
दोनों टोल बूथो पर जनसुविधाओं अभाव
वाहन चालक पवन यादव,अरविंद सतनामी,प्रहलाद,सतीश बताते है कि टिमरी एवं गाड़ाघाट टोल बूथ पर वाहन चालकों के लिए न तो पीने का स्वच्छ जल है न ही सुलभ शौचालय और न ही स्नान घर की सुविधा है। इसके अलावा न तो एम्बुलेंस और न ही प्राथमिक उपचार सामग्री की किट इन टोल बूथो पर उपलब्ध हैं। जिम्मेदारों का दायित्व होना चाहिए है कि दोनों टोल बूथो पर जनसुविधाओं को देखते हुए नियमानुसार सभी जरूरी सुविधा वाहन चालकों के लिए उपलब्ध कराए। लेकिन स्टेट हाइवे के इन दोनों टोल बूथो पर जनसुविधाओं को नजर अंदाज कर टोल राशि वसूली जा रही है। गौरतलब है टिमरी गाड़ाघाट की दूरी महज 19 किलोमीटर है और इस मार्ग पर दो टोल नाके है। जन सुविधाओं की कमी वाहन चालकों को खल रही है। दो- दो जगह टोल राशि देने के बावजूद सुविधाएं मुहैया नहीं होने से वाहन चालक निराश हैं। वाहन क्रमांक यूपी 72 बीटी 9269 के चालक विमल कुमार यादव निवासी प्रयाग राज यूपी बताते है कि जिले के जबलपुर पाटन मार्ग पर स्थित टिमरी टोल बूथ पर ड्राइवरो से नगद पैसा लिया जा रहा है और खुल्ले पैसे नहीं होने पर बिस्कुट चॉकलेट ड्राइवरो को धमा दी जाती है जबकि हम नेशनल परमिट पर चलते हैं हमारी गाड़ी में फास्ट टैग लगा है और टिमरी टोल बूथ पर भी फास्ट टैग की फैसिलिटी उपलब्ध है फिर भी टोल कर्मी नगद पैसा हम ड्राइवरो से वसूल रहे है और खुल्ले पैसे नहीं होने की आड़ में 2-5 रुपए में आने वाली चॉकलेट,बिस्किट के 10 रुपए तक की राशि वसूल रहे है। इतना टोल देने के बावजूद हमारे लिए इस टोल बूथ पर शुद्ध पेयजल,स्नान ग्रह,सुलभ शौचालय की व्यवस्था नहीं है। वही जबलपुर के ट्रांसपोर्टर बताते है कि टिमरी एवं गाड़ाघाट टोल बूथो पर पीने के पानी की व्यवस्था है,लेकिन उनका उपयोग टोल स्टाफ तक ही सीमित है। ऐसा ही शौचालय और स्नान घर की सुविधा सिर्फ टोल स्टाप के लोगों के लिए है उनका उपयोग करने की वाहन चालकों को सक्त मनाही है। वही प्राथमिक उपचार किट एवं एंबुलेंस वाहन भी इन टोल बूथों पर नहीं है। इन टोल बूथों के ठेकेदारों द्वारा जिम्मेदारों के यहां सेवा शुल्क का लिफाफा हर महीने पहुंचा दिया जाता है जिसकी वजह से इन दोनों टोल बूथो पर जिम्मेदारों को कोई भी अनियमिताएं दिखाई नहीं पड़ती हैं। वाहन चालक चंदन लोधी,वकील ठाकुर,राहुल बर्मन बताते है ही इन दोनों टोल बूथो पर जरूरी सुविधाए नदारद है वही टोल बूथ पर पुलिस थाना,अस्पताल के जरूरी फोन नंबर कही पर भी नहीं लिखे हैं और यहां के कर्मचारियों के पहचान पत्र भी नहीं है। जिसकी वजह से वाहन चालकों को पता ही नहीं चलता कि यह टोल कर्मचारी है या बाहरी व्यक्ति है। सूत्रःबताते है कि इन टोल बूथों से पुलिस और जिम्मेदार विभाग के अफसरों को मोटी रकम मिलती है जिसकी वजह से विवाद होने की स्थिति में वाहन चालको की कोई सुनवाई नहीं होती है। कई मामलों में टोल बूथ पर बैठी महिला से वाहन चालकों की नोक झोंक की खबरें भी आती रहती हैं।
गाड़ाघाट टोल बूथ ग्रामीणों के लिए बना सिरदर्द
ग्रामीण बताते है कि गाड़ाघाट टोल बूथ से गाड़ाघाट,बासन,कोनी,बूढ़ी कोनी,इटावा,इमलिया, टपोरियों,जटवा,हरदुआ बगदरी,मडवा,पिपरिया,पौड़ी और इससे सटे दर्जनों गांव के किसान एवं वाहन चालक टोल की लूट से बेहाल है। इत्ती महाराज बताते है कि इन गांवों में लगभग 150 के आस पास निजी एवं कमर्शियल वाहन है जिनको पाटन आने जाने पर कार चालकों को 60 रुपए हर फेरे पर देने पड़ते है वही जिनकी जमीन बासन या उससे आगे के गांवों में है और उनका आधार कार्ड में पता पाटन दर्ज है तो कंपनी उनका टोल पास जारी नहीं करती है आपको बता दे कि टोल पास जारी होने पर 80 रुपए महीने के हिसाब से प्रतिवर्ष कार चालक 960 रुपए का भुगतान तहसील के किसान,आमजन एवं कोनी तीर्थ क्षेत्र में दर्शन करने वाले श्रद्धालु कंपनी को कर रहे है। वही कमर्शियल वाहनो पर 150 रुपए साथ ही किसानों के टैक्टर ट्राली से गल्ला एवं भूसा लाने ले जाने पर टोल कर्मी अवैध टोल वसूली कर रहे हैं। ग्रामीण बताते है कि इस टोल की शिकायत सागर संभाग में होती है क्योंकि यह टोल सागर संभाग के अंतर्गत आता है। हमारी विस के निष्क्रिय जनप्रतिनिधियों की मिली भगत से यह टोल जिले की पाटन तहसील के ग्राम गाड़ाघाट में दिलीप बिल्डकॉन कंपनी ने अपने ऊंचे रसूख की दम पर स्थापित कर तहसील के किसान,आमजनों से टोल की खुली लूट निरंतर जारी है जिस पर हमारे जनप्रतिनिधियों ने मौन धारण कर लिया है। किसी भी जनप्रतिनिधि ने अभी तक केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री एवं एमपीआरडीसी के जिम्मेदारों को गाड़ाघाट टोल टैक्स नाका को दमोह जिले की सीमा के आसपास स्थानांतरित करने के लिए पत्राचार नहीं किया है। गाड़ाघाट टोल बूथ का स्थान परिवर्तित होने से हज़ारों चार पहिया वाले राहगीरों को टोल टैक्स देने से राहत मिल सकती है। लेकिन जनता से चुने हुए जनप्रतिनिधियों के द्वारा क्षेत्रवासियों की पीड़ा को दरकिनार किया जा रहा है।

