सदाबहार नगमों से दर्शकों का मोहा मन

जबलपुर दर्पण। यह कौन आया रोशन हो गई, महफिल किसके नाम से, सैंया झूठों का बड़ा सरताज निकला, जोगी हम तो लुट गए तेरे प्यार में, यारा सिली-सिली रात का ढलना, ओ घटा साँवरी थोड़ी-थोड़ी बावरी जैसे सदा बहार नगमें पाथेय संगीत की सुरमयी शाम सैंया झूठों का बड़ा सरताज निकला में गूजें यह कार्यक्रम महाकौशल सांस्कृतिक प्रकोष्ठ शहीद स्मारक एवं पाथेय संगीत के तत्वाधान में आयोजित किया गया।
जहां एक से बढ़कर एक सदाबहार नगमें पेश किए गए। जहां एक और पुरुष एकल गीत सवेरे वाली गाड़ी से चले जाएंगे, किसी की मुस्कराहटों पर हो निसार, इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, छलके तेरी आँखों से शराब और ज्यादा छाए रहे। वहीं दूसरी ओर युगल गीत, कितना हंसी है मौसम, हमारी चाहतों का मिटना सकेगा फसाना, ओ छलिया रे छलिया रे दिल पे हमार, हम तो तेरे आशिाक हैं सदियों पुराने, बालम तेरे प्यार की ठंडी आग में जलते जलते, रंग भरे मौसम से रंग चुराके, छाए रहे ऐसा लग रहा था जैसे पाथेय संगीत के कलाकारों की मेहनत अत्याधिक रंग ले आई। कलाकार जिन्होंने प्रस्तुति दी……डॉ.कृष्ण कुमार दुबे, शिव कुमार गिरी, अमित तिवारी, मोहन लोधिया, अंजन दासगुप्ता, अमित दास, मयंक विश्वकर्मा, अर्चना गोस्वामी, पल्लवी फाटक, प्रांजलि दिघाते, दीप्ति रॉय, शिल्पी ठाकुर, किरण कोपरिहा, आदि की प्रस्तुतियाँ सराही गई। अनेक संस्थाओं एवं मित्रों ने बधाई प्रेषित की है।