काजीवर पर सिल्वर और गोल्ड जरी वर्क ने जीता दिल
जबलपुर दर्पण। जिसका नाम ही उमंग शॉपिंग महोत्सव हो, वहां गुणवत्ता और खूबसूरती का संगम होना स्वाभाविक ही है। गोल बाजार में आयोजित फाइबर टू सिल्क फैब में काजीवार साड़ी पर गोल्ड और जरी वर्क की खूबसूरती ने देखने वालों को अपना दीवाना बना दिया है। तमिलनाडु के काजीवर शहर के असलम ने एक साड़ी को बनने में 3 महीने का वक़्त लगा दिया। धीरे-धीरे ये कला विलुप्त होती जा रही है। ऐसे महोत्सवों के माध्यम से इस कला में माहिरों की रोजी-रोटी चलती है। इस महोत्सव में जबलपुर की महिलाएं कोलकाता की कलाकृति देखकर मन्त्रमुग्ध हो गईं।
सचिव आशीष गुप्ता ने इस प्रदर्शनी में भाग लेने वाले पूरे भारत से आये कलाकारों की रेशम साड़ियों, पोशाक सामग्री की गुणवत्ता और विशेषताओं की जानकारी दी। उन्होंने असम-मूंगा सिल्क, दिल्ली-प्रिंटेड सिल्क साड़ी, गुजरात-कांथा, पटोला, पश्चिम बंगाल-बलूचरी, राजस्थान-बंधेज, झारखंड-कोसा सिल्क, कर्नाटक-चिंता मणि, कसौटी वर्क और अन्य जैसे विभिन्न राज्यों के रेशम उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में जानकारी दी।
उमंग मेले ने पारंपरिक भारतीय पोशाक को ज्यादा अच्छे तरीके से प्रदर्शित किया है। यहां रेशम के कपड़े से बनी साड़ियों और ड्रेस सामग्री की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की है। यह कार्यक्रम अधिकांश पार्टी परिधानों की एक विशाल रेंज प्राप्त करने में मदद करेगा, जिसमें अर्बन और एथनिक कारीगरी का सही मिश्रण है। आंध्र प्रदेश से उपदा, मंगलगिरी, गढ़वाल, धर्मावरम, पोचमपल्ली जैसी साड़ियों का एक आकर्षक संग्रह उपलब्ध है। बिहार से टसर, मटका और खादी रेशम, कशीदाकारी पश्मीना शॉल, प्रिंटेड सिल्क साड़ी, जम्मू और कश्मीर से ड्रेस सामग्री, मध्य प्रदेश से चंदेरी और माहेश्वरी सिल्क साड़ी, चिंतामणि, कसौटी वर्क, कर्नाटक से कर्नाटक सिल्क। बोमकाई, उड़ीसा से ब्लॉक प्रिंट, कांथा, छत्तीसगढ़ से जनजातीय कार्य, पारंपरिक सिल्क साड़ी आपकी अलमारी को रेशम के पारंपरिक फैंसी संयोजन और संग्रह के सेट का बिल्कुल नया स्पर्श देगी। उत्तर प्रदेश से तंचोई, जामदानी, जमावाड़ (बनारसी)। 5 सितम्बर तक आयोजित प्रदर्शनी के दौरान पूरे भारत के शिल्पकार अपने हुनर को प्रदर्शित करेंगे। मेले में सुबह 11 बजे से 9 बजे तक विविध स्टॉल्स लगाए जा रहे हैं। यहां आपको बनारसी रेशम की साड़ियों और चूड़ीदारों को जटिल रूप से डिजाइन किया जाएगा। इसके अलावा धूपियन सिल्क, टीजी सिल्क, स्पाइन सिल्क और खादी सिल्क से बनी ड्रेस मटेरियल भी उपलब्ध है। राजस्थान से बंधेज, ब्लॉक और सांगानेरी प्रिंट और गठजोड़ा, गुजरात की बंधिनी और मध्य प्रदेश के चंदेरी के साथ खादी सिल्क, टसर सिल्क, सभी एक ही छत के नीचे बनाने के लिए ढेरों विकल्प हैं।