जबलपुर दर्पणमध्य प्रदेश

दोनों राज्यों की आमसहमति से ही पेन्सनर्स को मिलेगी स्थायी राहत : तरुण भनोत

राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा – 49 को विलोपित करने पूर्व वित्त मंत्री ने सीएम भूपेश बघेल से मांगा पुनः प्रस्ताव

जबलपुर दर्पण। प्रदेश के 4.75 लाख अधिक पेन्सनर्स जो वर्ष 2000 तक राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों से रिटायर हुए थे, उन्हे प्रदेश सरकार की अनदेखी के कारण जीवन के इस दौर में पेंशन से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं | विदित हो कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अंतर्गत मध्यप्रदेश को हिस्सों मे विभाजित किया गया था और संसद द्वारा पारित राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 में इंगित शर्त है कि वर्ष 2000 तक के जो कर्मचारी रिटायर हुए है, उन पेन्सनर्स को पेंशन पर 74% राशि मध्यप्रदेश व्यय करती और शेष 26% राशि छतीसगढ़ को देना होता हैं | यह प्रावधान संसद द्वारा राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अनुसार धारा – 49 में किए गए हैं और इसी धारा के अंतर्गत दोनों राज्यों को पेन्सनर्स के देयकों के मामले में होने वाली समस्याओं पर दोनों राज्यों की सहमति जरूरी हैं, किन्तु मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार की लगातार अनदेखी से राज्य के लगभग 5 लाख पेन्सनर्स को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैं | उक्त आरोप प्रदेश सरकार में पूर्व वित्त मंत्री एवं जबलपुर पश्चिम से विधायक श्री तरुण भनोत के द्वारा मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा वर्ष 2000 तक प्रदेश में रिटायर हुए कर्मचारियों के पेंशन से संबंधित समस्याओं की अनदेखी पर लगाया हैं |
श्री भनोत द्वारा पेन्सनर्स की समस्याओं से संबंधित विषय पर छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को प्रेषित पत्र में बताया कि धारा-49 पर दोनों राज्यों की सहमति के बाद यह मसला संसद के माध्यम से खत्म होगी | प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में मुख्य सचिव द्वारा धारा – 49 को खत्म करने का अनुरोध किया गया था, किन्तु मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उक्त मामलें में कोई विशेष रूचि नही ली गई और अबतक कोई कार्यवाही भी नही की गई हैं, जिससे प्रदेश के 4.75 लाख पेन्सनर्स का मामला अधर में अटका हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल को प्रेषित पत्र में बताया कि इस धारा के कारण मध्यप्रदेश के 4.75 लाख पेन्सनर्स को दीपावली के पहले पेंशन का भुगतान नहीं किया जा सका हैं और उन्हे पेंशन के लिए दीपावली के बाद 10 दिन का इंतज़ार करना पड़ेगा, जो वरिष्ठ नागरिकों के साथ सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता हैं | श्री भनोत ने छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र के माध्यम से यह भी बताया कि श्री कमलनाथ जी की सरकार के कार्यकाल में उनके वित्त मंत्री रहते हुए पेन्सनर्स की मांग पर यह मामला विचाररार्थ था, किन्तु प्रदेश में आलोकतंत्रिक रूप से हुए सत्ता परिवर्तन के कारण इस मसले पर कोई अग्रिम कार्यवाही नहीं हो सकी | इस धारा को विलोपित करने से संबंधित कई बार विधानसभा के समक्ष भी नियमों के अधीन आग्रह किया गया किन्तु मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस विषय पर कोई रूचि न लेने के कारण पेन्सनर्स की समस्या खत्म होने के बजाये बढ़ती जा रही हैं |
श्री भनोत ने अपने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री बघेल से आग्रह किया हैं कि मध्यप्रदेश के पेन्सनर्स की समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए धारा – 49 को विलोपित करने के संबंध में प्रस्ताव पुनः मध्यप्रदेश सरकार को भेजने पर विचार करें ताकि छतीसगढ़ सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से प्रदेश के 4.75 लाख पेन्सनर्स को समस्याओं से स्थायी राहत प्रदान करेगा साथ ही छतीसगढ सरकार को सालाना 170 करोड़ रुपये के राजस्व की भी बचत होगी | उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि छतीसगढ़ सरकार यदि धारा – 49 को विलोपित करने के संबंध में कार्यवाही कर प्रस्ताव मध्यप्रदेश सरकार को भेजेगी तो आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान इस मामले को विधानसभा के माध्यम से उठाते हुए मध्यप्रदेश सरकार को छतीसगढ़ के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान करने आग्रह किया जावेगा ताकि प्रदेश के 4.75 लाख पेन्सनर्स के इस बहुप्रतीक्षित मांग और समस्या का स्थायी निराकरण निकाला जा सके।

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