जीवन दर्शन के साहित्यकार हैं डॉ. सुमित्र

जबलपुर दर्पण। दार्शनिक एवं वैचारिक दृष्टि संपन्न महाकवि डॉ. राजकुमार सुमित्र के सृजन में जीवन का दर्शन समाहित है। उन्होंने साहित्य एवं पत्रकारिता में मूल्यपरक दिशा प्रदान करते हुए सांस्कृतिक आदर्शों को महत्व दिया है। उनके सृजन में समाहित जीवन औऱ जगत की समग्रता का भावमयी प्रभाव पाठकों को गहरे तक पुलकित- प्रभावित करता है। तदाशय के उद्गार कला, साहित्य, संस्कृति के लिए समर्पित पाथेय संस्था के तत्वावधान में ‘सुमित्र सृजन जीवन का दर्शन’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अतिथियों ने व्यक्त किये।संगोष्ठी के मुख्य अतिथि स्वामी अगेह भारती वरिष्ठ साहित्यकार थे। अध्यक्षताआचार्य भगवत दुबे ने की ।सारस्वत अतिथि अमरेंद्रनारायन, डॉ. उषा दुबे,डॉ. रमेशचन्द्र बसेडिया, डॉ. तनुजा चौधरी, डॉ.मृदुलसिंह थीं।
डॉ. सुमित्र ने कहा कि सृजनधर्मी समाज के सचेतक होते हैं, जो अतीत वर्तमान और भविष्य के दिग्दर्शक होते हैं इसलिये उन्हें अपने सृजन में सामाजिक मूल्यों को महत्व देना चाहिए।
संगोष्ठी में आलोक श्रीवास्तव, श्रीमती निर्मला तिवारी,प्रतुल श्रीवास्तव, अर्चना मलैया ,छाया त्रिवेदी, डॉ. संध्या जैन श्रुति, गीताशरद तिवारी, डॉ.विजय किसलय,प्रभा शील, संतोष नेमा, विजय नेमा अनुज, सुभाष शलभ,रत्ना ओझा, राजेंद्र मिश्रा, डॉ. अनिल कोरी,सलपनाथ यादव,मोहन लोधिया,गुप्तेश्वर गुप्त, प्रवीण मिश्रा,डॉ. छायसिंहने सुमित्र जी के साहित्य पर प्रकाश डाला। डॉ.भावना शुक्ला दिल्ली एवं डॉ. कामना कौस्तुभ ने डॉ. सुमित्र की कविताओं का वाचन किया।
अतिथि स्वागत ज्योति मिश्रा,राजीव गुप्ता,विजय जायसवाल, अर्चना द्विवेदी, मनीषा गौतम, प्रमोद कुशवाहा ने किया। संचालन करते हुए राजेश पाठक प्रवीण ने सुमित्र जी के व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डाला।आभार डॉ.हर्ष तिवारी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के राकेश श्रीवास को सम्मानित किया गया।संगोष्ठी में कादंबरी संस्था, मंथनश्री,गुंजन कला सदन,वर्तिका, अनेकांत,
आथर्स गिल्ड, लेखिका संघ, जागरण साहित्य समिति, हिंदी सेवा समिति, सनाढ्य संगम, बुंदेलखंड साहित्य संस्कृति परिषद, पीएमजी शिक्षा कला शोध समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे।