जबलपुर दर्पणमध्य प्रदेश

तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान जबलपुर के स्वीकृत विकास परियोजनाओं को अविलंब प्रारंभ किया जाये : तरुण भनोत

मुख्यमंत्री के जबलपुर प्रवास के दौरान विकास की दृष्टि से जबलपुर के साथ हो रहे भेदभाव पर पूर्व वित्त मंत्री ने सौंपा मांग पत्र

जबलपुर दर्पण। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में मेरे वित्त मंत्री रहते हुए जबलपुर जिलें में अनेक विकास कार्यों की न केवल रूपरेखा बनाई गई थी बल्कि बजट सत्र 2019-20 में उन परियोजनाओं के लिए अपेक्षित बजट का प्रावधान भी किया गया था | किन्तु, अनैतिक रूप से सत्ता-परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार का जबलपुर के साथ लगातार घोर उपेक्षा का भाव और भेदभाव का रवैया पुनः देखने को मिला, जब कांग्रेस सरकार के दौरान स्वीकृत परियोजनाओं और विकास कार्यों पर स्थायी रूप से रोक लगा दी गई मंत्रित्वकाल के दौरान भूमिपूजन किए गए कार्यों को भी अब तक शुरू नहीं किया जा सका हैं | जबलपुर के साथ उक्त भेदभाव का आरोप प्रदेश सरकार मे पूर्व वित्त मंत्री एवं जबलपुर पश्चिम से विधायक तरुण भनोत ने लगाया है |
श्री भनोत द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जबलपुर प्रवास के दौरान कांग्रेस सरकार के दौरान बजट वर्ष 2019-20 के दौरान स्वीकृत परियोजनाओं एवं विकास कार्यों को प्रारंभ करने मांग पत्र सौंपा गया है और जबलपुर के हित मे अविलंब उन विकास कार्यों को प्रारंभ किए जाने का आग्रह किया गया है |

  1. चरगवां, शहपुरा एवं विजय नगर मे महाविद्यालय : – क्षेत्रीय लोगों की मांग पर तत्कालीन सरकार द्वारा चरगवां, शहपुरा एवं विजय नगर मे नवीन महाविद्यालय निर्माण हेतु बजट मे 31,92,000/- रुपये का प्रावधान किया गया था, किन्तु अब तक महाविद्यालय के निर्माण को लेकर कार्यवाही शुरू नही हो सकी है |
  2. डुमना नेचर सफारी: – पर्यटन की दृष्टि से जबलपुर को विकसित करने की दिशा मे जबलपुर के नगर निगम क्षेत्रांतर्गत डुमना मे नेचर सफारी बनाने का निर्णय लिया गया था और साथ में 5 करोड़ रुपये के प्रारम्भिक बजट का भी प्रावधान किया गया था | इस संबंध में विभाग द्वारा डीपीआर भी बना ली गई थी, किन्तु सत्ता-परिवर्तन के बाद इस महत्वपूर्ण परियोजना पर भी अग्रिम कार्यवाही अपेक्षित है |
  3. लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत शास्त्री ब्रिज पर यातायात को दृष्टिगत रखते हुए उन्नयन एवं विस्तार कार्य हेतु 150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, सुंदरपुर-बघराजी मार्ग के निर्माण हेतु 13.08 करोड़ रुपये, यूनिवर्सिटी-डुमना मार्ग के चौड़ीकरण हेतु 65.75 करोड़ रुपये, जमतरा-आईटीबीपी मार्ग के निर्माण हेतु 1.20 करोड़ रुपये, बनखेड़ी-मुरेठ-लमकना-पौड़ी मार्ग हेतु 29.05 करोड़ रुपये, उड़ना-भेड़ाघाट मार्ग के निर्माण हेतु 19.08 करोड़ रुपये, नानाखेड़ी-बंदर कुदनी मार्ग के निर्माण हेतु 12.63 करोड़ रुपये, सिवनी टोला-घाट पिपरिया मार्ग के निर्माण हेतु 11.56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, किन्तु यूनिवर्सिटी-डुमना मार्ग को छोड़कर अधिकतर कार्यों को या तो अब तक प्रारंभ नही किया गया है या स्थायी तौर पर उन परियोजनाओं पर रोक लगा दी गई है, जबकि बजट मे उक्त सभी परियोजनाओं में वित्तीय-प्रावधान भी किया जा चुका था |
  4. नर्मदा रिवर फ्रंट परियोजना: – जबलपुर शहर हमारी धार्मिक आस्था का पवित्र केंद्र और पुण्य सलिला माँ -नर्मदा की गोद में बसा है, और उसी को ध्यान में रखते हुए पर्यटनीय रूप से जबलपुर शहर को और समृद्ध करने की दिशा मे नर्मदा रिवर फ्रंट परियोजना मील का पत्थर साबित होगी | इस परियोजना के लिए भी शासन स्तर पर डीपीआर तैयार की जा चुकी थी और बजट मे प्रारम्भिक रूप से 10 करोड़ रुपये का प्रतीक प्रावधान भी किया गया था | इस परियोजना के पूरा होने से जहां एक तरफ गोमती और साबरमती रिवर फ्रंट के तर्ज पर जबलपुर को पर्यटन का अत्याधिक लाभ मिलता तो दूसरी तरफ बड़ी संख्या मे अपरोक्ष रूप से नौजवानों के रोजगार-सृजन मे भी यह परियोजना अत्याधिक सहायक साबित होगी |
  5. डेयरी साइंस एवं फूड टेक्नॉलॉजी महाविद्यालय की स्थापना: – जबलपुर शहर मे बड़े स्तर पर स्थानीय किसान पशुपालन कार्यों से जुड़े हुए है और जबलपुर बड़े पैमाने पर दुग्ध का उत्पादन भी करता है | इसी को ध्यान मे रखते हुए तत्कालीन सरकार द्वारा जबलपुर मे युवाओं को डेयरी-साइंस एवं फूड टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र मे आधुनिक प्रशिक्षण के माध्यम से दुग्ध-प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए महाविद्यालय की स्थापना को स्वीकृति प्रदान की गई थी और बजट में 2 करोड़ रुपये की वित्तीय प्रावधान भी किया गया था और इसके स्थापना हेतु नानाजी देशमुख पशु-चिकित्सा विश्वविद्यालय परिसर मे स्थान भी आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, किन्तु सत्ता -परिवर्तन के बाद इस दिशा मे भी कोई कार्यवाही नही हो सकी है |
  6. स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट: – जबलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज परिसर मे मध्य भारत की पहली स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट की स्थापना की घोषणा भाजपा सरकार के द्वारा की गई थी और कांग्रेस सरकार के दौरान इस इंस्टिट्यूट की स्थापना हेतु बजट में 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था | यह अत्यंत पीड़ादायक है कि इंस्टिट्यूट का नवीन भवन काफी पहले बनकर तैयार हो चुका है, किन्तु अन्य आवश्यक औपचारिकताओं के लंबित होने के कारण इंस्टिट्यूट का विधिवत संचालन प्रारंभ नही हो पा रहा है | जबलपुर और महकौशल क्षेत्र के कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को आधुनिक उपचार के लिए अभी भी दूसरे शहरों और प्रदेशों में जाकर उपचार कराने पर मजबूर होना पड़ रहा है |
  7. जबलपुर में मेट्रो-प्रोजेक्ट: – आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की दृष्टि से लगातार पिछड़ते जबलपुर को प्रदेश के भोपाल एवं इंदौर शहर के तर्ज पर विकसित करने की दिशा में जबलपुर मे मेट्रो-प्रोजेक्ट के फिजीबीलिटी सर्वेक्षण के लिए कांग्रेस सरकार के दौरान सर्वेक्षण कार्यों हेतु 3 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, किन्तु इस दिशा में भी सत्ता-परिवर्तन के बाद कुछ नही किया गया है |
    श्री भनोत ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र के माध्यम से पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि ऐसी कई छोटी-बड़ी अनेकों परियोजनाएं है जो तत्कालीन सरकार के दौरान जबलपुर के सर्वागींन विकास को लेकर आधारशीला रखी गई थी और निश्चित रूप से उन विकास कार्यों को मूर्त रूप देने पर जबलपुर की तस्वीर कुछ और होगी, लेकिन जबलपुर पिछले 18 वर्षों के भाजपा और शिवराज शासन में लगातार उपेक्षा का दंश झेल रहा है | भाजपा सरकार मे जबलपुर जैसे महत्वपूर्ण संभाग को न तो कभी राजनैतिक रूप से मजबूत प्रतिनिधित्व मिला और ना ही शहर को विकास की दृष्टि से ही महत्वपूर्ण समझा गया, जिसका नतीजा है कि एक समय जबलपुर से काफी पिछड़े हुए जिलें या तो जबलपुर के समकक्ष खड़े है या विकास की दौड़ मे काफी आगे निकल चुके है।

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