जबलपुर दर्पणमध्य प्रदेश

हरिसिंह रूपराह कॉलेज में गुरुनानक मिलन समारोह

विद्यार्थियों ने दिखाया अद्भुत कौशल

जबलपुर दर्पण। हरिसिंह रूपराह कला, वाणिज्य एवं विधि महाविद्यालय में बुधवार को आयोजित श्री गुरुनानक मिलन समारोह ने अध्यात्म और सांस्कृतिक उत्साह का माहौल बनाया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने जपुजी साहब के श्रेष्ठ उच्चारण और गुरबाणी कीर्तन के साथ-साथ निबंध, भाषण, और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

गुरबाणी और आदर्शों का संदेश

कार्यक्रम में श्री गुरुनानक देव जी के जीवन और उनके संदेशों पर प्रकाश डाला गया। वक्ताओं ने विद्यार्थियों को समानता, एकता, और भाईचारे के महत्व को समझाते हुए कहा कि ईश्वर का स्मरण करने वाले व्यक्ति पर शगुन-अपशगुन का कोई प्रभाव नहीं होता

गुरबाणी कीर्तन ने माहौल को भावमय बना दिया। विद्यार्थियों ने “राम जपो जी ऐसे ऐसे” जैसे शबदों का गायन कर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।

प्रतियोगिताओं में दिखा उत्साह

समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें विद्यार्थियों ने पूरे उत्साह से भाग लिया।

  • निबंध लेखन प्रतियोगिता में जिज्ञासा नामदेव ने प्रथम स्थान, शालिनी विश्वकर्मा ने द्वितीय स्थान, और अंबिका चौधरी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
  • प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में अंशिका विश्वकर्मा ने पहला, अनिमेश राजपूत ने दूसरा, और रिद्धिमा विश्वकर्मा ने तीसरा स्थान हासिल किया।
  • भाषण प्रतियोगिता में मंतशा आफरीन कुरैशी, पलक यादव, और पलक रजक ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय, और तृतीय स्थान पर कब्जा जमाया।
  • शबद गायन प्रतिस्पर्धा में केन्ट खालसा इंग्लिश मीडियम सदर ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पुरस्कार जीता।

सम्मान और संदेश

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू, विधायक अशोक रोहाणी, और सिक्ख एजुकेशन सोसाइटी की अध्यक्षा अमृत कौर रूपराह सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों ने विजेताओं को सम्मानित किया। उन्होंने विद्यार्थियों को गुरुनानक देव जी के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

सांस्कृतिक एकता का उदाहरण

गुरुद्वारा समितियों के प्रमुखों, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. भरत पाल, और आयोजकों के सामूहिक प्रयासों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाया। मंच संचालन शिल्पा गढ़वाल ने किया।

समापन

कार्यक्रम ने विद्यार्थियों को न केवल उनकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों से जोड़ा, बल्कि प्रतियोगिताओं के माध्यम से उनके कौशल को निखारने का भी अवसर दिया। यह आयोजन युवाओं में श्री गुरुनानक देव जी के आदर्शों को स्थापित करने का एक अनुकरणीय प्रयास रहा।

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