कवि प्रदीप और कवि नीरज पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
जबलपुर दर्पण । कवि नीरज और कवि प्रदीप पुस्तकों में नहीं अपितु लोगों के दिलों में राज करते हैं साहित्यकार की सार्थकता इसी में है कि वह जन-जन तक के अंतःकरण में प्रविष्ट होकर अपनी छाप छोड़ दे।”उपर्युक्त उद्गार संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर कपिल देव मिश्रा माननीय कुलपति रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुरके द्वारा अभिव्यक्त किए गए। संत अलॉयसियस स्वशासी महाविद्यालय, जबलपुरके हिंदी विभाग द्वारा द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। समापनसत्र काप्रारंभईशवंदनासेकियागयाइसकेपश्चातअतिथियोंकापुष्पगुच्छएवं स्मृति चिन्हसेस्वागतकियागया।तत्पश्चात कार्यक्रम की सचिव डॉ कैरोलिन सैनी द्वारा संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। महाविद्यालयकेप्राचार्यडॉ.फा.वलनअरासूनेअपनेसंदेशमेंकहाकि”प्रदीप और नीरज दोनों ही कवि कवियों ने कभी स्वयं के कष्टों को नहीं देखा अपितु दूसरों के लिए मुस्कुराते रहे हमें उनसे यह सीखने की आवश्यकता है।”संगोष्ठी के सारस्वतअतिथिप्रो. सत्यकेतु सांकृत, संकायाध्यक्ष, डॉ बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली का वक्तव्य अब इस प्रकार था कवि प्रदीप एवं नीरज की तरह हमें भी अपने कार्यों और आचरण में राष्ट्रवाद को प्रमुखता देनी चाहिए तभी हम अपने लोकतंत्र की रक्षा कर सकेंगे।”कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ.नूतन पांडे का संदेश इस प्रकार था”इन दोनों कवियों ने उपेक्षित विधा को मंच प्रदान किया और अपने प्रभावशाली गीतों के माध्यम से लोगों के हृदय को जोड़ा।”कार्यक्रम के दौरान पुस्तक भी विमोचन की गई, जिसका शीर्षक था कॉगिटेशन्सआनएडावान्सेसइनफिजिकलएंडमैथेमेटिकलसाइंस। इसके संपादक डॉ.फा.वलनअरासूऔर डॉ. मीता दरबारी हैं।उद्घाटनसत्रकेदौरानमंचसंचालनडॉ जरीन बक्श, डॉ निहारिका सिंहकेद्वारातथाआभारप्रदर्शनडॉ. रीना थॉमसकेद्वाराकियागया।