अंतर्मन से श्रीहरि सुमिरन ही संकीर्तन : स्वामी अशोकानंद
जबलपुर दर्पण। भगवान से भौतिक पदार्थों को मांगने से अच्छा भगवान का स्वंय के ह्रदय में वास की कामना करना चाहिए। अंतर्मन से भगवान की आराधना ही हरिनाम संकीर्तन है क्योंकि सर्वस्व समर्पित कर हरि सुमिरन करना ही संकीर्तन है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं महाभारत युद्ध के बाद पांडवों से सभी कौरवों का तर्पण विधि करवाईं थी इसलिए हर सनातनी को परंपरा का निर्वाह करते हुए श्राध्द पक्ष में तर्पणादि करते हुए श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए उक्त उद्गार
भागवत सेवा समिति के तत्वावधान में भक्तिधाम आश्रम ग्वारीघाट मैं पूर्वजों के तर्पण के लिए पितृपक्ष में श्रीमद्भागवत कथा पुराण के द्वितीय दिवस व्यासपीठ से भागवताचार्य स्वामी अशोकानंद जी महाराज ने कहें।
श्रीराधा-कृष्ण,व्यासपीठ , महाराज जी का पूजन अर्चन पंडित वेदांत शर्मा , करिश्मा शर्मा, विध्येश भापकर, वीनू माखीजा, विजय पंजवानी, पप्पू लालवानी,उमेश पारवानी, जय बाशानि, दीपक पंजवानी, हीरा शर्मा, खेराज दास हेमराजनी ,सहित श्रृध्दालु जनों की उपस्थिति रही।