जबलपुर दर्पणमध्य प्रदेश

मदन महल की पहाड़ी पर कोई भी निर्माण कार्य न हो पत्रकार वार्ता में आयोजन समिति ने कहा

जबलपुर दर्पण। नगर की आसीन ज़ोन कहलाने वाली मदल महल की पहाड़ी को पिछले वर्षों में अतिक्रमण मुक्त कराके वृहत वृक्षारोपण कराया गया है, विगत सितम्बर माह में तत्कालीन मुख्यमंत्री की उपस्थिति में पहाड़ी पर 100 करोड़ से रानी दुर्गावती स्मारक निर्माण करने की घोषणा की गई जिसका उ‌द्घाटन भी हुआ है, पर्यावरण की दृष्टि से इसे सर्वथा अनुचित मानते हुए 82 वर्षीय सेवानिवृत्त विज्ञान शिक्षिका श्रीमती साधना उपाध्याय द्वारा उच्च न्यायालय में एड. प्रभा खरे के सहयोग से एक जनहित याचिका दाय की गई थी जिसमें कुछ वैकल्पिक स्थान जैसे ग्राम बारहा स्थित दुर्गावती समाधि के सामने मैदान आदि समुझाव भी सम्मिलित थे, सूचना के अधिकार के तहत निर्माण के सम्बंध में एस.डी.एम, नगर पालिका व प्रदूषण बोर्ड से जानकारी मांगी गई पर सब जगह से ‘निरंक’ उत्तर प्राप्त हुआ, अगले कोर्ट में अपील की अनुशंसा के साथ याचिका खारिज हो गई, याचिकाकर्ता ने अग्रिम तैयारी के साथ नगर के पर्यावरण संरक्षकों से इस ओर जारूक रहने की अपील की है, पत्रकारवार्ता में साइन्स कॉलेज 56-57 एल्यूमिनाई के सदस्य प्रो. इन्दु गुप्ता, एच.वी.पालन, ए.आर. लोध, आर.के. मालवीय, नवीन धगट, पी.डी. अग्रवाल, इन्दु विलसन, कदम के योगेश गनौरे व एड. प्रभा खरे आदि उपस्थित हुए,शिक्षिका मैं साधना उपाध्याय 82 वर्षीय वर्तमान में सेवानिवृत्ति उपरान्त पर्यावरण संरक्षक एवं समाजसेवा के कार्यों के प्रति तन-मन-धन से समर्पित हूँ, श्रीमती मैंने उच्च न्यायालय म.प्र. जबलपुर की युगल पीठ मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ एवं न्यायाधीश विशाल मिश्रा के समक्ष जनहित याचिका पर्यावरण एवं प्रदूषण सुरक्षा को लेकर दिनांक 13.12.2023 को रखी, पर्यावरण विभाग मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया। मैंने स्वयं की नाममात्र पेंशन से याचिका का व्यय जनहित में किया, मेरी सहेली एडवोकेट श्रीमती प्रभा खरे ने निःशुल्क अपनी सेवायें प्रदान की। जनहित याचिका में सरकार द्वारा 100 करोड़ रूपये व्यय करके मदन महल पहाड़ी, जबलपुर पर रानी दुर्गावती का स्मारक बनाये जाने की घोषणा को चुनौती दी गई, बहस के दौरान अधिवक्ता ने निर्माण कार्य से होने वाली पर्यावरण संबंधी असंतुलन, प्रदूषण को लेकर अपना पक्ष रखा, 01. कोविड-19 महामारी के समय विश्व भर में लोगों को अपना जीवन बचाने के लिए एक-एक सांस के लिए संघर्ष करना पड़ा, मानव जीवन को कीड़े-मकोड़ों की तरह ऑक्सीजन के लिए मरते हम लोगों ने देखा है, प्राकृतिक सम्पदा एवं नैसर्गिक सौन्दर्य को नष्ट न किया जाए, पहाड़, नदी, समुद्र, प्राकृतिक वन मनुष्य के लिए बनाना संभव नहीं है इसे सुरक्षित रखा जाए,02. जबलपुर की मदन महल पहाड़ी ऑक्सीजन जोन (श्वांस नलिका) कहलाती है, इसे बचाना मानव एवं जीव-जन्तुओं के लिए अत्यन्त जरूरी है, इसीलिये विगत वर्षों में वहाँ से अतिक्रमण हटा कर वृहत कृचारोवण कराया गया है,3.मानव हित में मदन महल पहाड़ी पर स्मारक न बनाया जाए अपितु अन्य स्थान पर जैसे- बारहा ग्राम रानी दुर्गावती की जो समाधि स्थल है वहाँ पर निर्माण करके उसे विश्वप्रसिद्ध वीरभूमि पर्यटन एवं बलिदान शौर्य गाथा के मुख्य बिन्दु का आधार दिया जाए, दमोह जिले का सिंगौरगढ़ किले का जीर्णोद्धार सरकार कराये जो उपेक्षित है। मण्डला जिले का किला जिसका मात्र एक बुर्ज बचा है उसका जीर्णोद्धार का कार्य सरकार द्वारा किया जाए न कि जनता के स्वास्थ्य की रक्षक मदन महल पहाड़ी को 100 करोड़ व्यय करके नष्ट करना सर्वथा अनुचित कार्य है, 4.विशेष- याचिका से पूर्व सूचना के अधिकार के तहत स्मारक ख्थान के संबंध में ① एस. डी. एम. नगर पालिका प्रदूषण बोर्ड से जानकारी मांगी थी पर सभी ने उच्च न्यायालय के निर्णय की प्रति संलग्न है। उत्तर निरंक दिया, निस्वार्थ भाव से राष्ट्र निर्माता द्वारा जनहित में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर याचिका माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ एवं न्यायाधीश विशाल मिश्रा की युगल पीठ के सम्मुख रखी, (i) याचिका पर उचित विचार नहीं किया गया जिससे पर्यावरण संरक्षकों एवं पर्यावरण मित्रों के मन को गहरी ठेस पहुँची है, (ii) याचिकाकर्ती ने सरकार के रवैये से हताश एवं निराश होकर न्याय के लिए न्यायालय की शरण ली कि न्यायपालिका जनता के लिए सरकार को उचित निर्देश देकर निःस्वार्थ भाव से समाज सेवियों की भावना का सम्मान करे, उनके कार्य की सराहना करके उनके पक्ष में निर्णय प्रदान करे न कि सरकार को मनमानी करने के लिए बढ़ावा दे, (iii) याचिकाकर्ता ने ज्वलन्त एवं अति महत्वपूर्ण जनहित का मुद्दा बड़ी आशाओं एवं विश्वास के साथ न्याय हेतु न्यायालय के समक्ष रखा किन्तु पर्यावरण मंत्रालय को जवाब तलब किए बिना, न्यायालय में उपस्थित न करके मनमाना कार्य के लिए मुक्त कर दिया, पर्यावरण विभाग के मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया दिनांक 27.10.2023 को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विजय नगर, जबलपुर का दिया गया जवाब ‘निरंक’ (iv) लिखकर पल्ला झाड़ने वाला है जिसे न्यायपालिका ने अनदेखा कर दिया, जनहित, समाजहित, राष्ट्रहित एवं विश्व हित में प्रश्नचिन्ह खड़ा करने वाला है, (v) न्यायपालिका के निर्णय का सम्मान करते हुए मैं मन की पीड़ा जो सिसक रहा है कि जनहित याचिका का ठीक से सहृदयतापूर्वक विचार किए बिना “डिस्पोज ऑफ” कर देना जनहित में दुर्भाग्यपूर्ण है, पर्यावरण संरक्षकों एवं पर्यावरण प्रेमियों को हताशा एवं निराशा भरने वाला है

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