जाबालि ऋषि और काशी महाराज की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होते ही नर्मदा तट जयकारों से गूंजा
जबलपुर दर्पण। जैसे ही लम्हेटा घाट के श्री सत्गुरू परम हंस स्वामी ने जाबालि ऋषि और काशी महाराज चंद्र लोक आश्रम की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की वैसे ही लम्हेटी नर्मदा तट जयकारों से गूंज उठा। उल्लेखनीय है कि जाबालि ऋषि की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा विश्व में प्रथम बार जबलपुर के नर्मदा तट पर हुई है। चंद्र लोक आश्रम लम्हेटी के काशी महाराज की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर भव्य मंदिर व जाबलि ऋषि घाट का निर्माण किया गया है। न्यू भेड़ाघाट रोड स्थित श्री परमहंस आश्रम चन्द्रलोक ग्राम लम्हेटी में एक दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नर्मदा तट के संतों के साथ बड़ी संख्या में भाविक जन उपस्थित थे।
गौरीशंकर महाराज ने जाबालि ऋषि और काशी महाराज चंद्र लोक के संबंध में जानकरी देते हुए कहा कि लम्हेटी घाट स्थित परमहंस आश्रम भृगु क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि भृगु ऋषि व जाबालि ऋषि की ने यहां वर्षों तक तपस्या की थी। महेन्द्र दुबे ने उपस्थित जन समूह को जाबालि ऋषि और त्रेता युग से जुड़े रामायण प्रसंग की जानकारी देते हुए कहा कि श्रीराम को वनवास छोड़ अयोध्या लौटने का आग्रह करने भरत संग जाबालि ऋषि भी गए थे। अयोध्या राजपरिवार में जाबालि ऋषि महत्वपूर्ण भूमिका में थे। आलोक दास ने मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा करने में श्री सत्गुरू परम हंस स्वामी का सहयोग किया।
एक दिवसीय आयोजन में नर्मदा तट के संतों द्वारा आध्यात्मिक विचार विमर्श किया गया। श्री परमहंस आश्रम चन्द्रलोक के समस्त भाविक जन द्वारा इस अवसर भंडारा व प्रसाद वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जबलपुर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के हजारों धर्मालुओं उपस्थित हो कर इस देव दुर्लभ क्षणों के साक्षी बने।