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नशा के आगोश में समा रही युवाओ की ज़िंदगी

अवकारी अधिकारी बने कारोबारियो के संरक्षक

खबर प्रकाशित होने के बाद भी अनजान बना है आबकारी विभाग !

पुलिस के नाक के नीचे से शराब ठेकेदार गांव गांव जाकर बनाते हैं अपनी सेटिंग

मऊगंज संवाददाता। खबर मध्य प्रदेश के नवीन जिले मऊगंज से है जहां फिल्टर युक्त पीने योग्य पानी आसानी से नहीं मिल पा रहा है परंतु अवैध शराब अवश्य मिल जाती है। अवैध शराब कारोबारियों की वजह से सैकड़ों परिवार बर्बाद हो चुके हैं। मदिरा प्रेमियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गौरतलब हो कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बेधड़क होकर अवैध शराब का कारोबार जमकर किया जा रहा है जिसकी शिकायतें कई बार आबकारी विभाग के आला अधिकारियों से भी की जा चुकी है और पेपरों में भी प्रकाशित किया गया लेकिन आबकारी की मिलीभगत से शराब ठेकेदार निरंकुश होते जा रहे हैं और अवैध शराब का कारोबार दिन प्रतिदिन चौगुनी रफ्तार से बढ़ता जा रहा है। अवैध शराब का कारोबार गांव गांव और खाने की होटल ढाबों पर अवैध शराब आसानी से मिल जाएगी लेकिन आबकारी विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। हालांकि गांव-गांव पैकारी की खबर भी पेपर में प्रकाशित की जा चुकी है वहीं आबकारी स्पेक्टर को पत्रकारों के द्वारा कॉल करके भी बताया गया लेकिन फिर भी आबकारी स्पेक्टर नींद में है वहीं शराब ठेकेदार के गुर्गे अपने दो पहिया वाहन एवं चार पहिया वाहन से शराब की अवैध पैकारी शराब दुकान से करवाते हैं लेकिन आबकारी विभाग जान के अंजान बना हुआ है।
दरअसल आपको बता दें कि आबकारी स्पेक्टर से पत्रकारों के द्वारा कई बार गांव-गांव पैकारी और शराब की दुकान में रेट सूची ना लगे होने की चर्चा करने पर आबकारी स्पेक्टर के द्वारा पत्रकारों का नंबर ब्लॉक कर दिया गया
दर असल आपको बता दे की मऊगंज जिले के पुलिस के प्रयास के बावजूद भी जिले में मादक द्रव्यों की खेप पहुंच रही है। जिले में नशे पर लगाम लगाने का काम सिर्फ पुलिस विभाग द्वारा किया जाता है। अबकारी विभाग पुलिस विभाग द्वारा सौंपे गए मामलों को अपना बताकर वाहवाही लेने का प्रयास करती है।
आबकारी विभाग के संरक्षण में जिले भर में अवैध मादक द्रव्यों का व्यापार चल रहा है। बाहर से आने वाली मादक द्रव्यों के खेप की जानकारी आबकारी विभाग को भलीभांति होने के बाद भी न तो कार्रवाई की जाती और न ही इसकी जानकारी पुलिस को ही दी जाती। जिसके कारण जिले भर में अवैध मादक द्रव्यों का व्यापार फल-फूल रहा है। जिले में नशे के बढ़ते अवैध कारोबार पर अंकुश न लग पाने के मुख्य कारण नशे के बड़े तस्करों पर कार्रवाई का न होना माना जा रहा है। पुलिस द्वारा नशे के अवैध कारोबार पर कार्रवाई तो की जाती है लेकिन यह अवैध नशा कहां से आ रहा है और इसके पीछे बड़े तस्कर कौन हैं इसकी जांच-पड़ताल करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है। इसी वजह से मऊगंज जिले में बाहर से आने वाली नशे की खेप पकड़े जाने के बाद भी उसमें छोटे मोहरे हीे आरोपी बनते हैं। जानकारों का कहना है कि मऊगंज जिले में नशा का अवैध कारोबार दिनोंदिन बढ़ रहा है। जिले का ऐसा कोई भी एरिया नहीं है जहां नशे का अवैध कारोबार न चल रहा हो। यह अवश्य है कि शहरी क्षेत्रों से लगे इलाकों में नशा का कारोबार सबसे ज्यादा होता है।

सुरक्षित ठिकाना बना शाहपुर,नईगढ़ी और खटखरी-मऊगंज जिले में कुछ सालों से नशे के सौदागरों का सुरक्षित ठिकाना शाहपुर,नईगढ़ी और खटखरी बना हुआ है। शाहपुर में तो अब उत्तर प्रदेश की ओर से स्मैक की इंट्री भी हो चुकी है। स्मैक की खपत बढ़ाने के लिए बडे तस्करों द्वारा मऊगंज जिले में शाहपुर और नईगढ़ी इलाके को ही चुना गया है। स्मैक का नशा काफी महंगा होने के कारण तस्करों द्वारा अभी इसका आदी बड़े घरों के युवाओं को ही बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे स्मैक का नशा भी मऊगंज जिले में अपना पांव धीरे-धीरे पसार सके। यदि पुलिस द्वारा स्मैक के अवैध कारोबार को पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में स्मैक की इंट्री मऊगंज जिले के अन्य क्षेत्रों में भी होना शुरू हो जाएगी।

हनुमना और चाकघाट के रास्ते पहुंचती है अवैध नशे की खेप-जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश से मऊगंज जिले में अवैध नशा की खेप चाकघाट के रास्ते से ही पहुंचाने का काम काफी सुरक्षित तरीके से किया जा रहा है। वहीं चौरा पहाड़ के रास्ते मऊगंज से भी सीधा जुड़ा हुआ है। इस वजह से इस मार्ग से भी नशे का अवैध कारोबार चलाया जा रहा है। इसी तरह मऊगंज एवं खटखरी की ओर भी बाहर से नशे की अवैध सामग्री पहुंचाने का काम चल रहा है। यह इलाके नशे के अवैध कारोबार को लेकर आम लोगों के बीच भले ही काफी चर्चित हों लेकिन पुलिस द्वारा कार्रवाई के नाम पर केवल छोटे मोहरों को ही अपना निशाना बनाया जाता है। नशे के अवैध कारोबार में कई बड़े तस्कर शामिल हैं। जिनकी रसूख के चलते पुलिस द्वारा उन तक पहुंचने की जरूरत नहीं समझी जाती। बड़े तस्करों द्वारा अपने अवैध कारोबार को काफी संख्या में छोटे कम उम्र के मोहरों को लगाया गया है। जिनके द्वारा नशे की खेप को लाने-ले जाने का कार्य किया जा रहा है।

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