रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय: छात्रों के भविष्य और गरिमा के लिए एनएसयूआई का संघर्ष
जबलपुर दर्पण। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीवीवी) में आज का दृश्य केवल एक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि छात्रों के आक्रोश और निराशा का स्पष्ट प्रतीक था। एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष सचिन रजक और प्रदेश उपाध्यक्ष सौरभ गौतम के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता और कुलगुरु प्रो राजेश कुमार वर्मा की अक्षमता के खिलाफ विरोध जताया। यह प्रदर्शन उन छात्रों की पीड़ा को उजागर करता है, जिनका भविष्य विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही और कुलगुरु की नीतियों से प्रभावित हो रहा है।
प्रदर्शन के दौरान एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री और राजभवन के प्रतीक चिन्ह पहने, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि राज्य सरकार इस मामले में आंखें मूंदे हुए है। छात्रों ने साफ कहा कि सरकार की ओर से कुलगुरु की नियुक्ति और उनके कृत्यों पर कार्रवाई न करना, यह दर्शाता है कि सरकार छात्रों के भविष्य के प्रति गंभीर नहीं है।
एनएसयूआई ने कुछ समय पहले ही कुलगुरु प्रो राजेश कुमार वर्मा की उनके पद पर गलत तरीके से की गई नियुक्ति के खिलाफ सबूत सार्वजनिक किए थे। जिला अध्यक्ष सचिन रजक ने कहा, “कुलगुरु की गलत नियुक्ति ने न केवल विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्था को ध्वस्त किया है, बल्कि छात्रों के शैक्षिक भविष्य को भी खतरे में डाल दिया है।”
गाडरवारा, कटनी, जबलपुर और अन्य क्षेत्रों से आए छात्रों ने बताया कि उन्हें परीक्षाओं में शून्य अंक दिए गए, जबकि वे परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। छात्रों ने कई बार कुलगुरु से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन प्रो राजेश कुमार वर्मा ने उनकी समस्याओं को सुनने से मना कर दिया और विश्वविद्यालय में आने से भी इंकार कर दिया। यह कृत्य यह साबित करता है कि कुलगुरु का छात्रों के हितों से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि वह केवल राजनीतिक व्यक्ति हैं, जिन्हें अपने आकाओं की कृपा पर विश्वविद्यालय का सर्वोच्च पद मिला है।
छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में बड़े पैमाने पर त्रुटियां हुई हैं। उन्हें शून्य अंक मिलने के बाद उनका आत्मविश्वास प्रभावित हुआ है। छात्रों ने मांग की है कि उत्तर पुस्तिकाओं की सार्वजनिक जांच हो और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इसके अलावा, कुलगुरु पर महिला सहायक कुलसचिव द्वारा अशोभनीय आचरण के आरोप भी लगाए गए हैं, लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे व्यक्ति को विश्वविद्यालय के सर्वोच्च पद पर बनाए रखना विश्वविद्यालय की गरिमा को ठेस पहुँचाता है और पूरे शैक्षिक तंत्र को कलंकित करता है।
एनएसयूआई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक कुलगुरु के खिलाफ निष्पक्ष जांच नहीं होती और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने दो घंटे तक कुलसचिव के कार्यालय में नारेबाजी की और यह संदेश दिया कि उनका संघर्ष सिर्फ अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की गरिमा और लाखों छात्रों के भविष्य के लिए है।
इस प्रदर्शन के बाद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने आनन-फानन में परीक्षा परिणाम का पुनरावलोकन करने की घोषणा की है। यह घटनाक्रम इस बात का सबूत है कि जब युवा शक्ति न्याय के लिए खड़ी होती है, तो हर तंत्र को झुकना पड़ता है। एनएसयूआई और छात्रों का यह आंदोलन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को उसकी खोई हुई गरिमा वापस दिलाने और छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
आज के प्रदर्शन में मुख्य रूप से एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष सचिन रजक, प्रदेश उपाध्यक्ष सौरभ गौतम, अमित मिश्रा, मो. अली, नीलेश माहर, अपूर्व केशरवानी, राजदीप दुबे, शुभम कौरव, निकेत पटेल, आशु, ममार, कौशिक काबरा, चंद्रकांत साहू, ध्रुव राडवे, शुभम सोनी, मीनाक्षी आचार्य, आयुषी शर्मा, अवनी पवार, चंचल साहू, आभा शर्मा, भारती सराठे, आयुषी सोनी, अर्पित सोनकर, नीकेत पटेल, पुष्पेन्द्र गौतम, मानव रजक, अभिषेक दहिया, आदित्य सिंह सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।