तो क्या तय हुए हैं पानी प्लांट लगाने के मापदंड पाउच,बॉटल खोलने से पहले ध्यान जरूर दें
शहडोल । जिलेभर में कई जगहों पर अमानक स्तर पर ठंडा पानी बेचने का कारोबार संचालित है जिनमे से कुछ तो मानक मापकों को पूर्ण करते हैं किंतु कुछ बगैर लाइसेंस के पानी का कारोबार कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों पर जिम्मेदार विभाग द्वारा शायद अब तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई। ऐसे में ठंडे पानी के नाम पर दूषित पानी बेचने वाले कारोबारी जिले में सक्रिय हो गए हैं। केनों के माध्यम से पानी की सप्लाई की जा रही है। बता दें कि जिलेभर में कुछ ही लोग होंगे जिनके पास ठन्डे पानी आपूर्ति का अनुज्ञा होगा पर जिले में ऐसे दर्जनो पानी प्लान्ट हैं जिनके पास अनुज्ञा न होते हुए भी इस कारोबार को अंजाम देते हुए बकायदे टैक्स की चोरी की जा रही है
केनों,पाऊचों, बोतलों में नहीं लिखा होता नाम व पता कार्यालय-जिले में आपूर्ति हो रहे ठण्डे केन,पानी पाउच व बोतलों की बिक्री अनवरत जारी है बिक्री होने वाले इन पेय पदार्थों में घर, किसी भी कार्यलय में या एक निजी संस्थान का नाम व सम्बंधित संस्थान के मालिक का मोबाइल नम्बर भी होना चाहिए
जिस केन से ठंडे पानी की सप्लाई की जाती है, उसमें संस्था का नाम व आईएसआई सर्टिफाइड होने का मार्का लगा होना चाहिए, लेकिन पानी की सप्लाई करने वाले अधिकांश कारोबारियों की केनों,पाऊचों,बोतलों में इसका उल्लेख नहीं होता।
यहां पर संचलित हो रही पानी का का व्यापार-जिन स्थानों पर अमानक स्तर पे पानी प्लांट का संचालन किया जा रहा है वो जिले से लेकर अंतिम छोर ब्यौहारी तक संचालित है शहडोल में कुदरी,गांधी चौराहा ,ब्यौहारी में सूखा,बुढार चमड़िया पेट्रोल पंप के पीछे,कालेज कालोनी,सैटिनटोला,हरे माधव कालोनी,बनियान टोला,पंचमुखी मंदिर के सामने धनपुरी,ओपीएम बटुरा मुख्यमार्ग
आरओ प्लांट के लिए जरूरी है ये नियम और दस्तावेज-मिनरल वाटर का बिजनेस शुरू करने के लिए पहले एक कंपनी या फर्म बनाई जाती है। कंपनी एक्ट के तहत इसका रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। कंपनी का पैन नंबर और जीएसटी नंबर आदि की आवश्यकता होती है
इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड दिल्ली को आवेदन करना होता है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड (आईएसआई) के अधिकारी मौके पर जांच करते हैं। पानी का नमूना लेते हैं। फिर अनुमति पत्र देते हैं। यह पत्र जिला खाद्य विभाग के यहां देते हुए आवेदन करना होता है। औषधि प्रशाधन विभाग भौतिक जांच के बाद प्लांट का लाइसेंस जारी करता है। इसके पहले वह मशीनों की गुणवत्ता, पानी की गुणवत्ता आदि जांचता है। पानी खारा न हो, बोरिंग कम से कम दो सौ फीट गहरी हो। वाटर लेविल ठीक हो। औषधि प्रशाधन विभाग के बाद जिला पंचायत या नगर पालिका से भी एनओसी लेनी होती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भी अनुमति लेना अनिवार्य होता है चूंकि श्रमिकों से काम लेना होगा इसलिए श्रम विभाग में भी पंजीकरण जरूरी है।
इन विभागों की जिम्मेवारी-इस प्लान्ट में कार्यवाही व जांच करने के लिए इन विभागों की जिम्मेवारी बनती है खाद्य एवं औषधि विभाग, सम्बंधित नगरीय प्रशासन,पानी की शुद्धता व पर्यावरण को देखते हुए प्रदूषण विभाग, पानी का स्वास्थ्य पर असर पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग पानी के यदि गुणवत्ता की सही से जांच नहीं हो रही है और वह दूषित है, दूषित पानी में अमीबा नामक एक कीटाणू होता है जो आत में जाकर पेट को खराब कर देता है। इसके अलावा ई-कोलाई नामक कीटाणू से लोग डायरिया का लोग शिकार हो सकते है। साथ ही लोगों को पीलिया व टायफाइड भी हो सकता है। साथ पाचन क्रिया भी प्रभावित हो सकती है।
इस प्रकार अगर देखा जाए तो अलग-अलग विभागों की जिम्मेवारी होने के बाद भी एक-आध पानी प्लांट या आरओ प्लांट होंगे जिन पर इन विभागों की कार्यवाही हुई हो