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हिरण नदी में रेत का अवैध उत्खनन किसी अभिशाप से कम नहीं:सत्ता-प्रशासन ने साधी चुप्पी

जबलपुर दर्पण पाटन ब्यूरो। हिरण नदी में पिछले 15-20 वर्षी में जिस तरह से अवैध रेत उत्खनन किया गया आज उसी का परिणाम हमारे सामने है। आगे भी इससे गंभीर नतीजे हमारे सामने आने वाले है। हिरण नदी में रेत का अवैध उत्खनन किसी अभिशाप से कम नहीं है। पाटन विधान सभा में राजनैतिक व प्रशासनिक गठजोड़ कुछ साल पहले रेत के अवैध उत्खनन में कैसे पाटन पुलिस एसडीओपी को पैसे लेते हुए वीडियो वायरल हुआ था। उसी विवाद के चलते उन पर नाम मात्र की कार्यवाही कर पूरे मामले को रफा दफा कर दिया गया इससे पता चलता है कि रेत सरीखे “नदी-धन” को लेकर मची लूटमार में सत्ता,संगठन और प्रशासन के बीच कितना गहरा गठजोड़ है। सही मायने में हिरण नदी की दुर्दशा के जिम्बेदार उनके साथ हम भी है। क्यों सब देखते हुए न देखने का नाटक करते रहे हम। एक ओर जहां मनुष्य सब कुछ गारंटी शुदा मानकर चलता है और हमने जिस लापरवाही के साथ प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने उनको दिया उससे ये बात एकदम स्पष्ट है कि हमने विकास के नाम पर हिरण नदी को भी नही बख्श़ा। प्रमुख वजह सरकारी कार्यों में बढ़ी हिरण रेत की डिमांड। हिरण नदी की रेत एक दुर्लभ वस्तु बनाती जा रही है, निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली किसी भी अन्य रेत की तुलना में नदी की रेत की मांग बजार में हमेशा बनी रहती है। पानी के बाद दुनिया में दूसरा सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला संसाधन है रेत और ध्यान देने की एक बात ये भी है कि रेत एक संसाधन के रुप में असीमित मात्रा में उपलब्ध नहीं है आने वाले समय में हमें रेत के अभाव का सामना करना पड़ सकता है.जिन घऱों में हम रहते हैं उनके निर्माण के लिए हमें रेत की ज़रुरत होती है। शहरीकरण और वैश्विक स्तर पर जनसंख्या के बढ़ते विस्तार के कारण रेत और बजरी की मांग में दिनों-दिन बढोत्तरी हुई है अनुमानों के मुताबिक़ आने वाले समय में रेत की मांग में 300 प्रतिशत और इसके मूल्य में 400 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी। हिरण नदी का जल-प्रवाह रेत नदी के पारिस्थिति तंत्र का अनिवार्य हिस्सा है.नदी के जल-प्रवाह और मछलियों की ही तरह यह नदियों को सेहतमंद रहने में मदद करता है.यह भू-जल के पुनर्भरण के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है और प्रवाही जल में पोषक-तत्वों की आपूर्ति करता है.नदियों में जल-प्रवाह की कमी के दिनों में रेत जल-प्रवाह को बनाये रखने में मदद करता है. विभिन्न प्रकार के जलीय जीव-जंतुओं के प्राकृतिक वास के लिहाज से भी रेत महत्वूर्ण है.लोगो का ऐसा मानना है कि हिरण नदी में पिछले पंद्रह से बीस सालों में अवैध रेत-उत्खनन के कारण गंभीर नतीजे उभरकर सामने आये हैं। जब हिरण नदी में अवैध रेत उत्खनन को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष ठा. विक्रम सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि-हिरण नदी में अवैध रेत-उत्खनन से नदी की बदहाली और ज्य़ादा बढ़ गई है. इससे ना सिर्फ नदी की धारा-प्रवाह में बदलाव आया है बल्कि नदी-तल भी अस्थिर हो उठा है,जिससे इलाके की जैव-विविधता पर बुरा असर पड़ है। जब रेत उत्खनन को लेकर हिरण नदी के दोनों किनारों के आस पास निवास करने वालें ग्रामीणों एव किसानों से बात की गई तो, उनका कहना था कि- हिरण नदी में अवैध रेत उत्खनन में शामिल लोग जान-बूझ कर पानी के स्वाभाविक प्रवाह को रोकते हैं ताकि किसी एक स्थान से ज्यादा रेत निकाल सकें जबकि ऐसा करने से नदी के प्रवाह-क्रम में बदलाव आता है। हिरण नदी से रेत के अवैध उत्खनन की दूसरी मुख्य वजह अवैध उत्खननकर्ता को राजनैतिक एव प्रशासनिक सपोर्ट जिसके कारण हिरण नदी में 24 घंटे अवैध उत्खनन जारी रहता है।












वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष ठा विक्रम सिंह

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