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पशु जीवन दुःख का जीवन, पालन पालन हार, देख नजारा अब उठे,कौन करे सुधार 

जबलपुर दर्पण सिहोरा नप्र। प्रदेश सरकार ने हर जिले के शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गाय की सुरक्षा व्यवस्था के उद्देश्य को देखते हुए गौशालाओ का निर्माण कराया है। इसके बाद भी गाय बेघर है और गली चौराहों पर झुंड में खड़ी दिख जाएगी 1-पालन पालन हर घर लिये दूध निकाल,जब आई सेवा की बारी तब दियों घर से निकाल – फिर भी पशु बेसहारा हो कर निकल पड़ा नगर के पार। इसी लिये पशु हैं लाचार।2 – नगर गाँव की छोटी कुटिया,कहलाती हैं गौ शाला,गाय कहे या फिर कहे गाय माता।भारत वर्ष के हिन्दू धर्म में गाय हमारी माता हैं। और इस माता के सभी जग दाता हैं। फिर भी बेजुबान पशु दर दर मारा जाता हैं। इस लिये गाय हमारी माता हैं। हम सभी हिंदू समाज प्रेमी जानते हैं कि गाय हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं लेकिन उसके बाद भी उसकी सुरक्षा व्यवस्था और खान पान के लिए ये दर दर भटकती हुई नजर आ रही हैं। इतना ही नहीं पशु पालकों के द्वारा इन लावारिश हालत में छोड़ दिया जाता हैं। और जब इन पशुओं के साथ कोई बड़ी दुर्घटना या फिर उनकी मौत हो जाती हैं तो इसका कोई भी धनी धोरी नजर नहीं आता हैं। और आये दिन सड़क हादशो में मृत एवं घायल होने की घटना आय दिन मिलती है।मानव जाति के लिए यह बड़ी शर्म की बात है जिस गाय को हम अपनी गौ माता कहते हैं और उसे इस प्रकार से मरने के लिए छोड़ देते हैं।

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