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शिक्षा का मिले समान अधिकार

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एक भारत श्रेष्ठ भारत की तर्ज पर हो शिक्षा नीति

जबलपुर दर्पण। मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार एक भारत श्रेष्ठ भारत का नारा बुलंद हो रहा है होना भी चाहिए इस पर हम सभी भारतीय गर्व महसूस करते हैं
एक भारत श्रेष्ठ भारत की तर्ज पर एक शिक्षा नीति एक विद्यालय होना समय की आवश्यकता है। आज नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है लेकिन शिक्षा के नाम पर भेदभाव भी देखने मिल रहा है। वर्तमान में विद्यालयों की अनेक श्रेणीयां है केंद्रीय विद्यालय,नवोदय विद्यालय, उत्कृष्ट विद्यालय, मॉडल स्कूल,आदर्श स्कूल राज्य सरकार के विद्यालय इनमे शासकीय और अशासकीय विद्यालय एवं मदरसा बोर्ड के विद्यालय आदि शामिल हैं। इन सभी में पाठ्यक्रम भी अलग अलग है। अधिकांशतह विद्यालयों के हिसाब से छात्र एवं छात्राओं की पढ़ाई का स्तर आंका जाता है इसी प्रकार लगभग उनका समाज में सम्मान भी इसी मान से देखा जाता है इससे विद्यार्थियों में कई तरह की हीन भावना पैदा होती है जिससे आदर्श समाज का निर्माण होना संभव नहीं है। शिक्षा चरित्र निर्माण में सहायक होती हैं इसलिए समान शिक्षा का अधिकार सभी को मिलना चाहिए यह तभी संभव है जब एक शिक्षा नीति एक विद्यालय एक पाठयक्रम होगा। वर्तमान परिपेक्ष्य में देखने में आता है कि विद्यालय की श्रेणी से शिक्षक की श्रेणी भी देखने मिलती है शिक्षक का मान सम्मान भी विद्यालय की श्रेणी से आंका जाता है। आज समय की आवश्यकता है कि सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में समान शिक्षा दी जाए शिक्षा के नाम पर भेद भाव खत्म किया जाना चाहिए यह सरकार की जिम्मेदारी है कि शिक्षा में एकरूपता कायम की जाए जनमानस का ध्यान भी इस ओर जाना चाहिए इसके लिए क्रांतिकारी कदम की आवश्यकता है। संगठन के दिलीप सिंह ठाकुर, चंदा सोनी, पुष्पा रघुवंशी,भास्कर गुप्ता,आशा सिसोदिया,विश्वनाथ सिंह, आकाश भील, जी आर झारिया ने मांग की है।

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