कृषि क्षेत्र में रिमोट सेंसिग एवं जी.आइ.एस. तकनीक से मिलेंगे बेहतर परिणाम
सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना यंत्र विषय पर प्रशिक्षण संपन्न
जबलपुर दर्पण। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति डाॅ. प्रमोद कुमार मिश्रा की सद्प्रेरणा एवं सतत् मार्गदर्शन में कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (नाहेप) के तहत 17 वीं 21 दिवसीय प्रशिक्षण श्सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना यंत्र का कृषि में अनुप्रयोगश् विषय पर 3 जनवरी से आयोजित प्रशिक्षण का समापन संचालक प्रक्षेत्र डाॅ. दीप कुमार पहलवान के मुख्य आतिथ्य में हुआ। कार्यक्रम के समापन अवसर पर अध्यक्षता कर रहे डॉ. अतुल श्रीवास्तव अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी संकाय ने बताया कि वर्तमान में, यह तकनीक आने वाले भविष्य में महत्वपूर्ण है, भारत के एफ.आर.आई. उत्तराखण्ड, एम.पी.यू.ए.टी. राजस्थान, डॉ. वाय.एस.पी.यू.एच. एफ., सी.एस.के.एच.पी.व्ही. हिमाचल प्रदेश, बी.ए.यू.टी., एन.डी.यू.टी. उत्तरप्रदेश, आर.वी.एस.के.व्ही.व्ही. और जे.एन.के.व्ही.व्ही. मध्य प्रदेश से आए 57 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। जिन्हें सतत् 21 दिवस तक सैद्धांतिक व व्यवहारिक प्रशिक्षण के साथ ही रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस तकनीक के सॉफ्टवेयर का बेहतर उपयोग कार्य करना एवं कृषि के क्षेत्र में व प्रक्षेत्र पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सौरभ नेमा, डॉ. शैलेश शर्मा, सह समन्वयक द्वारा किया गया, आभार प्रदर्शन नाहेप परियोजना के प्रमुख समन्वयक डॉ. आर. के. नेमा ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। 21 दिवसीय प्रशिक्षण में समन्वयक की भूमिका डॉ. शैलेश शर्मा, सह समन्वयक डॉ. एम.के. अवस्थी, डॉ. वाय. के. तिवारी ने निभाई एवं डॉ. आर.एस. शुक्ला, डॉ. एस. के. बिलैया सहित अन्य वैज्ञानिकों की उपस्थिति रही हैं। 21 दिवसीय प्रशिक्षण को सफल बनाने में श्री ओम प्रकाश प्रजापति, डॉ. सुमित काकडे, डॉ. दीपक पटले, इंजी. अनिकेत राजपूत, इंजी. अंजलि पटेल, डॉ. देवेंद्र वास्ट, डॉ. पी.एस. पवार, डॉ. उमाकांत रावत, इंजी. कृष्णा सिंह और इंजी. रचित नेमा आदि की उल्लेखनीय भूमिका रही।