समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर राष्ट्रपति महोदया के नाम ज्ञापन

समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर आज जाग्रत शक्ति मंच के द्वारा मातृ शक्तियों ने जबलपुर कलेक्टर परिसर में भारी संख्या में उपस्थित होकर माननीया राष्ट्रपति और माननीय मुख्य न्यायमूर्ति सर्वोच्च न्यायालय के नाम ज्ञापन कलेक्टर महोदय को सौंपा. मीडिया से कहा कि विवाह रूपी संस्था सामाजिक व्यवस्था का अभिन्न अंग है। परिवार व कुटुंब का आधार सोलह संस्कारों में से एक विवाह है। भारत में वर वधु एक दूसरे का वरण कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करते हैं। शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष एवं जैविक महिला के मध्य सम्पन्न हुए विवाह को ही मान्यता दी गई है।जाग्रत शक्ति मंच का कहना है कि विवाह विधि मात्र जैविक पुरुष और महिला पर लागू होती है | भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नालसा (2014), नवतेज जौहर (2018) के मामलों में समलैंगिकों एवं विपरीत लिंगी (ज्तंदेहमदकमत) के अधिकारों को पहले ही संरक्षित किया जा चुका है। ऐसे में स्पष्ट है कि यह समुदाय, उत्पीड़ित या असमानता का दंश नहीं झेल रहा है।विधायिका ने पहले ही उपरोक्त निर्णयों के आधार पर कार्यवाही कर ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 को अधिनियमित किया है और इसलिये भेदभाव का प्रश्न ही नहीं उठता है.।मातृ शक्ति ने यह भी कहा कि भारत का संविधान विधायिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन स्थापित करता है. इसलिए विवाह को नये तरीके से परिभाषित करना, उसे नये स्वरूप में लिखना, विधायिका से कानून बनाने की शक्ति ले लेना माना जावेगा। अतः यह निर्णय संसद को लेने दिया जाए एवं सभी पहलुओं पर मातृ शक्ति के विचारों पर समग्रता से विचार किया जाए।इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में समाज के प्रबुद्ध वर्ग की नारी शक्ति उपस्थित थीं। इसके पूर्व घंटाघर पर जाग्रत शक्ति मंच के नेतृत्व में सभी महिलाएं एकत्रित हुई और ज्ञापन लेकर पैदल कलेक्ट्रेट तक शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखी।