त्याग तपस्या एवं समर्पण का महापर्व है ईदुल अजहा : सरताज मंजिल

जबलपुर दर्पण। भाजपा युवा नेता सरताज मंजिल ने बताया के मजहबे इस्लाम में ईद उल अजहा को बेहद पाक पर्व माना जाता है, सभी मुसलमान इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं, बकरीद पर्व की नींव ही कुर्बानी शब्द पर रखी गई थी, इसका नैतिक अर्थ यह होता है कि इंसान अपने अंदर की पशु वृत्ति यानी अपने अंदर की बुराइयों की कुर्बानी दे, ईद-उल-जुहा यह मुसलमानों के लिए विशेष इसलिए भी है कि इस दिन हर मुसलमान आपसी दुश्मनी को भूलकर एक साथ एकत्रित होता है, त्याग के रूप में दान को हर धर्म में तवज्जो दिया जाता है, इस पर्व के दिन भी साहिबे हैसियतदार लोग गरीबों को दान करते हैं, यह पर्व हमें प्रेम, भाईचारे तथा त्याग के महत्व को समझाता है, इस दिन ईश्वर की राह में अपनी सबसे प्रिय वस्तु के दान का रिवाज है, यह दिन इंसान के मन में ईश्वर के प्रति विश्वास भावना को बढ़ाता है, लोग इस दिन गरीब लोगों की मदद करते है तथा अपनी बुरी आदतों को त्यागने का प्रण लेते है, जानवर की कुर्बानी तो बस एक प्रतीक है, असली कुर्बानी का अर्थ तो अपनी सुख-सुविधाओं को छोड़कर लोगो की सेवा और सहायता करने में है, इस दिन दी जाने वाली कुर्बानी का मकसद होता है कि इसका फायदा अधिक से अधिक गरीबों तक पहुंचे सके, यहीं कारण है कि इस दिन कुर्बानी के तीन हिस्से किया जाते है, जिसमें से एक हिस्सा खुद के लिए रखा जाता है वहीं बाकी का दो हिस्सा गरीबों और जरुरतमंदों में बांट दिया जाता है, भारत में भी इस पर्व को काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है और देशभर में इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है,, ईश्वर से प्रार्थना है के वो हमारे प्यारे देश भारत को सर्व शक्तिमान एवं सर्व विकसित देश बनाये अंत मे समस्त देश वासियों को ईदुल अजहा की हार्दिक शुभकामनाएं।