ऋणमुक्तेश्वर मंदिर की क्या है पौराणिक मान्यता, जल अभिषेक करने से कैसे मिलेगा धर्म-लाभ

डिंडोरी, जबलपुर दर्पण ब्यूरो। जिले के जनपद पंचायत समनापुर अंतर्गत ग्राम पंचायत चांदरानी के प्रसिद्ध सिध्देश्वर धाम से दर्जनों कांवड़ीयों ने जल भरकर एतिहासिक ऋणमुक्तेश्वर मंदिर कुकर्रामठ में जलाभिषेक कर मन्नतें मांगते हुए सुख समृद्धि के लिए कामना की गई। गौरतलब है कि जिले के ऐतिहासिक ऋणमुक्तेश्वर मंदिर में जल अभिषेक करने पूरे श्रावण मास में दूर-दूर से कवड़ीयां यहां आते हैं, जहां जल अभिषेक करते हुए मन्नते मांग कर सुख समृद्धि के लिए कामना करते हैं। बताया गया कि जिला मुख्यालय से लगभग पंद्रह किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कुकर्रामठ में स्थित ऐतिहासिक ऋणमुक्तेश्वर मंदिर के दर्शनार्थ मात्र से ही सारे ऋणों से मुक्ति मिलती है तथा घरों में हमेशा सुख संपदा बनी रहती है। जानकारी अनुसार वर्तमान में मंदिर के रख-रखाव का कार्य मप्र पुरातत्व विभाग के अधीनस्थ है। पुरातत्व विभाग ने प्राचीन स्मारक पुरातत्वीय स्थल सुरक्षा अधिनियम 1958 के तहत मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है। मंदिर के पास ही पुरातत्व विभाग का शिलालेख लगा है, जिसमें मंदिर के इतिहास की जानकारी है। पुरातत्व विभाग की ओर से मंदिर की सुरक्षा के लिए चारों ओर दीवार बनाई गई है। मंदिर के संरक्षण की दिशा में सबसे पहला प्रयास अंग्रेजी हुकूमत के समय 1904 में अंग्रेजों ने किया था। इसके बाद 1971 में भारत सरकार ने एक बार फिर इसकी मरम्मत करवाई। 2010 में भारतीय पुरातत्व विभाग ने मंदिर के चारों ओर की सिक्योरिटी वॉल को और ऊंचा कराया। साथ ही मंदिर के सामने की जगह पर चीप से फ्लोरिंग कराई गई।
शिव मंदिर का किसने करवाया था ऐतिहासिक निर्माण
एतिहासिक ऋणमुक्तेश्वर मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में करवाया था। बताया गया कि शिखर का निर्माण पूर्ण होने से पहले ही सूर्योदय हो जाने के कारण शिखर पूरी तरह नहीं बन पाई थी, इसलिए गुंबद की चोटी पर कलश स्थापित करने के लिए एक प्लेटफॉर्म भी बना है। मान्यता है कि कलश की स्थापना इसलिए नहीं कि जा सकी की स्थापना के पहले ही सुबह हो गई थी। पिछले दिनों सावन महीने का चौथा सोमवार को जिले भर के शिवालयों में भगवान भोलेनाथ के जयकारे गूंजते रहे, पूरे सावन महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना श्रद्धा भाव के साथ की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ का प्रिय महिना सावन का महिना होता है, महीने के सभी सोमवार को बहुत महत्त्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि सावन सोमवार भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माना गया है। सावन सोमवार को शोभन योग बनना दुर्लभ संयोग है, इस शुभ योग में पूजा करने से परम सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि जिले भर से यहां श्रद्धालुओं का बड़ी संख्या में आना होता है, जहां विधिविधान से पूजा-पाठ करते हुए भगवान भोलेनाथ से सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।