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प्रदेश मे भाजपा का परचम लहराया, पर मण्डला में दो पर कांग्रेस काबिज,भाजपा को मंथन की जरूरत

केन्द्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते जो दूसरों  को जिताते हैं उन्हीं की अपने ही गृह ग्राम मे करारी हार क्यों?

मण्डला दर्पण। प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लहर चली। 230 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 165 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। जहां एक ओर लगभग दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर भाजपा जीत का जश्न मना रही है वही दूसरी ओर मंडला जिले की कहानी जस की तस रह गई।

शिवराज सिंह चौहान की उपलब्धियां और नरेंद्र मोदी की गारंटी भी जिले की तीन विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक ही सीट जिता सकी यह स्थिति तो पिछले पंचवर्षीय चुनाव की भी थी इतनी बंपर लहर के बाद भी निवास एवं बिछिया विधानसभा सीट एक बार पुनः कांग्रेस की झोली में चली गई। इस बार भाजपा को यह बात और भी ज्यादा इसलिए खलेगी क्योंकि निवास की हाई प्रोफाइल सीट जिस पर वर्तमान में केंद्रीय मंत्री छह बार के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को प्रत्याशी के रूप में उतारा गया था। लगभग 9000 मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी चैन सिंह वरकडे ने फग्गन सिंह कुलस्ते को धूल चटा दी। जनता ने यह बता दिया की सिर्फ विकास के वादे कर देने से बार-बार आपको नहीं जिताया जा सकता विकास करके दिखाना होगा अन्यथा अब जनता सबक सिखाएगी। फग्गन सिंह के प्रत्याशी बनते ही निवास की जनता ने अपना मन बना लिया था सुगबुगाहट भी शुरू हो गई थी कि इस बार मौका जाने नहीं देना है। कांग्रेस प्रत्याशी भी इस बात को भली भांति समझ चुके थे उनको भी मौका मिल गया था। उनको अपनी उपलब्धियां गिनाने से ज्यादा श्री कुलस्ते की नाकामियां गिनाने में दिलचस्पी नजर आ रही थी।

जनता ने मुख्यमंत्री पद के दावेदार को भी नहीं बख्शा

प्रदेश में चल रही उलट पलट से ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा बदला जा सकता है आदिवासी चेहरा भी मुख्यमंत्री हो सकता है और पार्टी ने भी योजनाबद्ध तरीके से केंद्रीय मंत्री होते हुए भी फग्गन सिंह को विधानसभा से मैदान में उतारा हो और जिले की जनता भी ऐसा ही मान कर चल रही थी वर्ना क्या आवश्यकता पड़ गई कि लोकसभा प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव में उतार दिया। खैर सब कुछ जानते हुए भी निवास की जनता ने तो अपना बदला ले लिया और परिवारवाद समाप्त करने की कड़ी में एक कील और ठोक दी। यह कहना गलत नहीं होगा कि निवास की जनता ने अपने क्षेत्र से भावी मुख्यमंत्री तक को नहीं छोड़ा।

विधानसभा क्षेत्र निवास वर्षों से उपेक्षा का शिकार –

ब्रिटिश काल 1914 में स्थापित निवास तहसील का कभी जलवा था जब इसके टुकड़े बिखेरे नहीं गये थे, लेकिन इन्हीं माननीयों के कार्यकाल में निवास के अनेकों विभाग यहाँ से उठकर जिला चले गये या बंद कर दिये गये और निवास अपाहिज होता चला गया इस परिस्थिति में निवास के जागरूक लोगों ने निवास को बेनूर होते देख निवास को जिला बनाये जाने की मांग की और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ठोस आश्वाशन भी दे चुके हैं, परंतु निवास के तत्कालीन विधायक और सांसद द्वारा जिम्मेदारी से इस जन माँग पर पहल न कर हर बार जनता को अजीब 2 दलील देकर निवास को जिला बनाये जाने की राह को कठिन किया जा रहा है जो जनसामान्य की समझ से परे है, और हद तो तब हो गई जब हाल में मंत्रीजी फग्गनसिंह ने मीडिया से चर्चा पर निवास को जिला बनाये जाने की मांग को अव्यवहारिक ठहरा दिया।      

वहीं क्षेत्रीय जनता की मांग नर्मदा जल लाने की चल रही थी उसके लिए मे मंत्री जी की कोई अच्छी पहल नही की गई। निवास के करौंदी वार्ड 13 में कई करोडों की लागत से बनाया जा रहा बांध भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, इस बांध के बन जाने से निवास के समूचे क्षेत्र में एक ओर जहाँ कृषकों को फायदा होता वहीं निवास वासियों को पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाती।

एक बड़ी चर्चा का विषय है मण्डला जबलपुर रोड आज 10 बर्षों बाद भी पूर्ण नही हो सका इस बात को लेकर केन्द्र सड़क मंत्री को भरी सभा जनता से माफी तक मांगनी पड़ी।

मनेरी औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित फैक्ट्रियों कारखानों के खोले जाने वा स्थापना समारोह में क्षेत्रीय नेताओं ने क्षेत्र की जनता से वादा किया था कि यहाँ के युवाओं को रोजगार के साथ क्षेत्र का विकास होगा? लेकिन कुछ ऐसा  नही जिले का नही अपितु दूसरे जिले का विकास होने रगा।  जिससे आसपास के शिक्षित युवा बाहर काम की तलाश में पलायन करने मजबूर हैं।

श्री कुलस्ते के ग्रह क्षेत्र निवास की बात करें तो यहां सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव तो है ही साथ ही इस क्षेत्र में कई बड़ी समस्याएं भी हैं जिन पर बार बार गुहार लगाने के बाद भी इनकी निष्क्रियता बनी रही।

वहीं जनता-जनार्दन का कहना हमें किसी का व्यक्ति गत या पार्टी का विरोध नही हमें केवल निवास की हो रही दुर्गति का विरोध है

deepak Jat

MANDLA JILA BUREAU DEEPAK SINGH JAT

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