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शार्ट फिल्म निर्माता निर्देशक शीतल श्रीवास की फिल्म मजबूर भईया ने मचाया धमाल

छतरपुर। शीतल श्रीवास उर्फ शीनू भईया, रोशनी कुशवाहा,नीरज नॉटी, प्रहलाद श्रीवास, कमलेश बुंदेली यह फिल्म यह फिल्म बुंदेलखंड की मातृभाषा बुंदेली में बनाई गई है इस फिल्म को बनाने का मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं है बस फिल्म बनाई है लोगों के मनोरंजन और शुभ विचार और एक अच्छी सीख देने के लिए फिल्म में अभद्रता का कोई प्रयोग नहीं किया गया फिल्म में सब सुविचार अच्छे तरीके से बनाई गई है फिल्म में सीख दी गई है जब किसी के माता-पिता बचपन में ही गुजर जाते हैं तब भाई और बहन या कोई छोटा भाई या छोटे-छोटे बच्चे रह जाते हैं तो उन पर क्या बिताती है जैसे तैसे बड़ा भाई अपना घर चलाने को लेकर मजबूर होता है मजबूर भैया फिल्म का नाम इसीलिए रखा गया मजबूरी का कारण गरीबी हो सकती है लाचारी हो सकती है तो यह फिल्म सिर्फ यही दिखाने के लिए बनाई गई है कि एक भैया कितनी मेहनत करके अपनी बहन को पालता पोस्ट पढ़ता लिखता और उसके लिए कितने बड़े-बड़े सपने सोचता और बहन अपने रास्ते से भटक जाती है बहन का भटकना भाई का जमीनी लेवल से टूट जाना भाई का परेशान होना भाई के लिए बहुत बड़ी समस्या बन जाना गांव मोहल्ले पड़ोसियों में इज्जत यानी नाक कट जाना बस इसी को इस फिल्म में दर्शाया गया है की बहन अपना रास्ता भटकती है और भाई उसको रास्ते पर लाने के लिए क्या करता है बहन रास्ते पर आती हैबहन को बहुत अफसोस होता है कि हमने बहुत बड़ी गलती की है हमें ऐसी गलती नहीं करना चाहिए हमें क्या ऐसी गलती किसी भी बहन किसी भी भाई किसी भी मन किसी भी बच्चों को नहीं करनी चाहिए घर परिवार चलाने के लिए हमें बड़े एवं पूर्वजों की रास्ते पर बताए हुए चलना चाहिए चलना चाहिए रास्ते पर चलने से बहुत अच्छे सुविचार रहते हैं और गलत रास्ता भी नहीं भटकते हैं गलत रास्ता भटक जाने पर घर परिवार सब कुछ बिखर जाता है जिंदगी खराब हो जाती है इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए दुनिया वालों को एक यह संदेश है इस फिल्म यानी शॉर्ट फिल्म के माध्यम से कि किसी भी परिवार के सदस्य को घर के ही परिवार की बात माननी चाहिए अपने रास्ते से भटकना नहीं चाहिए अगर कोई भट्ट है तो उसे पर ध्यान दीजिए वरना इससे परिवार बिखर बिखर सकता है सामाजिक स्वरूप कार्य की फिल्में बनाना घर-घर तक पहुंचाना जन-जन को जागरूक करना समाज को जागरूक करना निर्माता निर्देशक शीतल श्वास की तरफ से यह छोटा सा प्रयास है आशा नहीं बल्कि पूर्ण भरोसा है विश्वास है की समाज में फैली हुई बुराइयों को मिटाया जा सकता है अगर हम सब में अन्याय के खिलाफ अत्याचार के खिलाफ शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का साहस हम सबको मिलकर पैदा करना होगा ताकि ऐसी कुरीतियों से ऐसी बुराइयों से हम समाज को सुरक्षित कर सके एक बार इस फिल्म को सपरिवार देखें जरूरआपका अपना फिल्म निर्माता निर्देशक शीतल श्रीवास

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