तीसरे गुरु अमरदास जी का 546 वां प्रकाश उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया
जबलपुर दर्पण। सेवा सिमरन के पुंज सिख धर्म के तीसरे गुरु अमरदास जी का 546 वां पवित्र प्रकाश उत्सव गुरुद्वारा ग्वारीघाट में भव्य कीर्तन दरबार और गुरु का लंगर आदि आयोजन के साथ मनाया गया। इसमें रागी जत्था भाई महिंदर पाल सिंह,भाई सतनाम सिंह, स्त्री सत्संग जत्था एवं भाई मनप्रीत सिंह आदि ने गुरुवाणी शबद कीर्तन से गुरुजी की महिमा का बखान कर साध संगत को निहाल किया । वे गायन कर रहे थे “भले अमरदास गुण तेरे, तेरी उपमा तोहे बन आई” कथाकार ज्ञानी जसबीर सिंह ने कहा कि गुरु अमरदास जी ने सती प्रथा का खुला विरोध किया और जात पात तथा ऊंच नीच को समाप्त करने के लिए गुरु का पंगत का लंगर को और भी मजबूत किया ताकि छोटे बड़े सब एक साथ एक ही पंगत में बैठकर खाना खा सकें, उन्होंने पानी के लिए सांझी बावली का भी निर्माण कराया उन्हें महान संत, दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है। इस मौके पर निशान साहिब के नवीन चोले की कार सेवा साध संगत द्वारा श्रद्धापूर्वक की गई । गुरुद्वारा प्रधान सरदार गुलज़ीत सिंह साहनी, प्रदीप सिंह अजीत सिंह चड्डा, जसपाल सिंह इंदर जीत सिंह मंगी के साथ ही बड़ी संख्या में श्रधालुओं ने श्रीगुरू ग्रन्थ साहिब जी के समक्ष माथा टेककर दुआएं मांगी। गुरु का लंगर के साथ ही यहां मीठा शरबत और कड़ाह प्रसाद वितरित किया गया l इस मौके पर अनेक श्रृद्धालुओं ने पुण्य सलिला नर्मदा में स्नान लाभ भी प्राप्त किया।