जबलपुर दर्पणमध्य प्रदेश

नशा मुक्त भारत के लिए ब्रह्मकुमारीज ने लिया संकल्प

जबलपुर दर्पण। प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय शिव स्मृति भवन नेपियर टाउन जबलपुर में आयोजित नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत कार्यक्रम में जबलपुर के कई डॉ सम्मलित हुए जिन्होंने नशे से होने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओ पर प्रकाश डाला | सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी भावना दीदी ,डॉ एस के पांडे सिविल सर्जन विक्टोरिया ,डॉ. निशा तिवारी पूर्व अध्यक्ष एल्गिन हॉस्पिटल ,डॉ लखन वैश्य रेड़ोलोजिस्ट डॉ पुष्पा पांडे स्त्री रोग विशेषज्ञ ,डॉ दीपक गुप्ता रेड़ोलोजिस्ट, डॉ सोनल रिछारिया आई एम ए महिला विंग सचिव मध्यप्रदेश समेत सभी ने दीप प्रज्वलन के साथ ही कार्यक्रम का शुभारम्भ किया |
सेवाकेद्र प्रभारी एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी भावना दीदी जी ने कहा राजयोग का नियमित अभ्यास न केवल तन बल्कि मन के भी व्यसनों से मुक्त करने में संभव राजयोग एक विधा है जो हमें विभिन्न प्रकार के व्यसनों से मुक्त करती है |
राजयोग के द्वारा आप सहज ही इस व्यसनो से छुटकारा पा सकते हैं। जो व्यसन से दूर हैं, वे अपने आप को मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से सदा काल के लिए स्वस्थ रख सकते है, अगर वह राजयोग का नियमित अभ्यास करे। राजयोग द्वारा जिन लोगो ने व्यसन छोड़ा, ऐसे 3000 लोगो का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में यह पाया गया कि 97% जिन्होंने व्यसन छोड़ा, सदाकाल के लिए व्यसन से मुक्त हो गए केवल 3% लोग जिन्होंने राजयोगा जीवन शैली को छोड़ा उनके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते। 97% लोगो ने नशे को अपने जीवन काल में दुबारा नहीं अपनाया।
डॉ सोनल रिछारिया इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई एम् ए) की महिला विंग सचिव ने कहा की ब्रह्मा कुमारी संस्थान के विभिन्न आयोजन नशा मुक्त भारत के संकल्प को साकार कर रहे है जो बहुत ही प्रशंसनीय है | उन्होंने कहा की नशा न केवल तम्बाखू और शराब का है बल्कि आधुनिकता के समय में हम एक डिजिटल वर्ल्ड में इन्टरनेट के नेट में अर्थात उसके जाल में फसते जा रहे है अत: हमे इस तरफ भी ध्यान देने की आवश्कता है |

ब्रह्मा कुमारी डॉ पुष्पा पांडेय जी ने कहा की वास्तव में बच्चो को नैतिक रूप से मज़बूत होना चाहिए तथा उन्हें पहली बार ही किसी गलत कार्य को करने के लिए कहने पर इंकार कर देना चाहिए।जहाँ हांजी कहना आवश्यक है, वहां न कहना भी हमारे व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वह मित्र कैसा मित्र है,जो अपने अभिन्न मित्र को तम्बाकू गुटका या शराब पीने के लिए मज़बूर करता है। इसीलिए किशोरावस्था के बच्चो को इन व्यसनों को पहली ही बार में न कहना चाहिए तथा एक बार भी चखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। ख़राब संग से तो अकेला ही भला।
इससे छुटकारा पाने के लिए उन्होंने राजयोग ध्यान के बारे में बताया

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