परमार्थ -सेवा ,राम नाम जप ही शिव भक्ति और :स्वामी नरसिंहदास
जबलपुर दर्पण। देवों के देव महादेव भक्तों के लिए हर क्षण तत्पर रहते हैं जीवन में काम पर विजय प्राप्त करना अति दुस्तर है।भगवान शिव इसलिये भी देवों के देव महादेव हैं क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में काम को भस्म किया है।अधिकतर देव काम के अधीन हैं पर भगवान शिव राम के अधीन हैं।भगवान महादेव के जीवन में वासना नहीं,उपासना है।शिव पूर्ण काम हैं,तृप्त काम हैं।काम का अर्थ केवल वासना ही नहीं अपितु कामना भी है।
भगवान महादेव ने हर प्रकार की कामनाओं, इच्छाओं और वासनाओं को नष्ट किया है।शिवजी के जीवन में कोई लोभ नहीं केवल राम दर्शन,राम कथा श्रवण और राम नाम गायन ही उनकी कामना है।भगवान शिव बहिर्मुखी नहीं,अंतर्मुखी रहते हैं।अंतर्मुखी रहने वाला साधक ही शांत,प्रसन्नचित्त,परमार्थी,सम्मान की इच्छा से मुक्त,क्षमावान और लोक मंगल के शिव संकल्पों को पूर्ण करने की सामर्थ्य रखता है , उक्त उद्गार श्री शिव महापुराण के षष्ठम दिवस
उक्त उद्गार श्रावण मास महोत्सव की नाग पंचमी के पावन अवसर पर व्यासपीठ से नरसिंह पीठाधीश्वर डॉक्टर स्वामी नरसिंह दास जी महाराज के मुखारविंद से शिव महापुराण में भगवती पराम्बा के अवतारों, भक्त उपमन्यु कथा,शुंभ निशुंभ वध, ॐ नमः शिवाय पंचाक्षरी मंत्र महात्म्य की कथा में श्रीराम परिसर सरस्वती उ मा विद्यालय अधारताल में कहे।
शिव महापुराण व्यास पीठ पूजन आशा हीरालाल श्रीवास्तव, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, प्रतिभा विध्येश भापकर, अंजना मनीष अग्रहरि, डॉ अजय तिवारी, डॉ दीपक बहरानी,आकांक्षा अश्वनी, स्मृति अमित, प्रियंका, अलंकृत, अक्षत, डॉ अनुपम श्रीवास्तव ,राजेन्द्र साहू सनातन धर्म महासभा, नरसिंह मंदिर गीता धाम शिष्य मंडल ने किया ।