महर्षि वाल्मीकि और महाराजा अजमीढ़ देव की जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन

जबलपुर दर्पण। समर्थ भारत के लिये सब सबको जाने – सब सबको माने, एक अभियान के अंतर्गत समरसता सेवा संगठन द्वारा महर्षि वाल्मीकि एवं महाराजा अजमीढ़देव जयंती के अवसर पर एक विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन मुख्य अतिथि संयुक्त आयुक्त जीसटी श्रीमति आभा जैन, भारतीय स्वर्णकार समाज राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संतोष सोनी, समाजसेवी नीलेश रावल, मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार महोपाध्याय डॉ हरिशंकर दुबे, समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन की उपस्थिति में अग्रवाल बारात घर शीतलपुरी में किया गया।
मुख्य वक्ता डॉ हरिशंकर दुबे ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा हमारे देश में पर्वो का महत्व है, आज शरद पूर्णीमाला पावन अवसर है, इसके पूर्व युग अवतार आचार्य विद्यासागर जी महाराज का चतुर्दशी उत्सव मनाया, इसके पूर्व हमने प्रभु श्रीराम का विजय उत्सव दशहरा पर्व मनाया है और आज हम महर्षि वाल्मीकि एवं महाराजा अजमीढ़ देव की जन्म जयंती का उत्सव मना रहे है कहने का तात्पर्य है कि अलग अलग पर्वो और रंगो से रंगा हमारा देश एकजुट होकर पर्वो को मनाता है।
उन्होंने कहा हम जानते है कि हम मनुष्य है और इस सृष्टि का निर्माण भगवान ब्रह्मा ने किया और उनका मंदिर पुष्कर में है जो अजमेर राजस्थान में स्थित और अजमेर राज्य की स्थापना महाराज अजमीढ़ ने की थी और हमारे देश की राजधानी दिल्ली है और जो पूर्व में हस्तिनापुर थी और इसे राजा हस्ती ने बसाया था जो महाराज अजमीढ़ के दादा थे। महाराजा अजमीढ़ ने भगवान की प्रतिमा पर सोने की माला चढ़ाने के लिए अपने राज्य का पूरा स्वर्ण लगा दिया और जब उनके पास कुछ नहीं बचा तब भगवन विश्वकर्मा ने कहा आपने अपने राज्य का संपूर्ण स्वर्ण भगवान को अर्पित कर उनका श्रृंगार किया इसीलिए आपका वंश आज से स्वर्णकार वंश कहलायेगा।
उन्होंने कहा महर्षि वाल्मीकि सामान्य व्यक्ति नही थे, उन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना प्रभू प्रेरणा से की और रत्नाकर नाम के डाकू से आदि कवि महर्षि वाल्मीकि बनने के लिए उन्होंने श्रद्धा, करुणा, तप, तितिक्षा से ईश्वर का कार्य किया। हम सभी भी एक डाकू है और जिस दिन हम वाल्मिकी हो जायेंगे हमारे जीवन में भी राम आ जायेंगे।
उन्होंने कहा जब तक हमारे जीवन में समर्पण नही आयेगा तब तक हम समरसता से नही जुड़ सकेंगे। कलयुग में दिखना महत्वपूर्ण नही अपितु दिखाना महत्पूर्ण हो गया है और इसीलिए सब स्वयं को दूसरो को अपना भेष, अपनी भाषा, अपना कार्य दिखाने का कार्य आज करते है किंतु यदि हमारे मन में करुणा, त्याग, दया का भाव आ जायेगा उस दिन हम महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती सही मायने में मनाएंगे और जिस दिन हमने दूसरो के जीवन को सुधारने और सजाने का कार्य कर लिया तो सही मायने में महाराजा अजमीढ़ की जयंती मना सकेंगे।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती आभा जैन ने अपने संबोधन में कहा हमारे देश की संस्कृति और विरासत को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने का अभूतपूर्व कार्य करने के लिए समरसता सेवा संगठन को शुभकामनाएं देना चाहती हूं। महर्षि वाल्मिकी जी ने रामायण की रचना की और हम जानते यह संस्कृत का पहला काव्य है और इससे अच्छा धार्मिक, सामाजिक, परिवारिक, राजनैतिक साहित्यिक ग्रंथ नहीं हो सकता है । आज हम अपने उत्थान के लिए नही दूसरो के पतन के लिए कार्य कर रहे है और जिस दिन इस रामायण को अपने जीवन में उतार लेंगे हर घर में राम हो जायेंगे और राम राज्य की पुनः स्थापना हो जाएगी।
उन्होंने कहा भारत से ज्यादा धार्मिक देश कोई नही है, यहां से ज्यादा धार्मिक अनुष्ठान किसी और देश में नही होते है हजारों वर्षो के इतिहास में कई संत, महात्मा, ऋषि मुनि तपस्वी हमारे यहां हुए और रामायण, गीता और कई ग्रंथ हमारे यहां पढे जाते है फिर भी वर्तमान में हम किस दिशा में जा रहे है यह विचारणीय प्रश्न है और इसका उत्तर हम स्वयं को स्वयं से ही दे सकते है और जिस भाव से समरसता सेवा संगठन ने यह कार्य प्रारंभ किया है इस भाव को आत्मसात करे तो देश पुनः उस वैभव को प्राप्त करेगा।
विचार गोष्ठी को वरिष्ठ समाजसेवी श्री नीलेश रावल एवं श्री संतोष सोनी ने भी संबोधित किया।
विचार गोष्ठी में कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं स्वागत उद्बोधन संगठन सचिव उज्ज्वल पचौरी ने दिया।
संगठन वक्ता के रूप में राजेश ठाकुर ने महर्षि वाल्मीकि एवं महाराजा अजमीढ़ देव के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विचार व्यक्त किए।
सम्मान :- कार्यक्रम के दूसरे चरण में राजेंद्र सराफ, चमन बोहरे, एलडी स्वर्णकार, विनीत सोनी, सीतादेवी सोनी, अमृतलाल वाल्मिकी, पुरषोत्तम सराफ, अनुश्री स्वर्णकार, विराट बोहत, कमलेश सोनी, आयुषी सोनी, दीक्षा बोहत, संस्कृति सराफ, निहांश बोहत, अखिलेश सोनी, मान्या अवध, अर्थव बोहत, सपना स्वर्णकार, आरोही, सिद्धेश्वरी सराफ, श्याम वाल्मिकी, वंदना सोनी, प्रतीक चंदेल, अमरनाथ सोनी, अदिति चंदेलिया, सुरेश दर्पण, अशोक महरोलिया, कमल सोनी, ईश्वर डागोर, मंजू शरद सोनी, रवि गोहेल, राजेश्वरी नरवरिया, डॉ विकास गोहत, नीता अनिल सराफ, महेंद्र चौहान, गीता सोनी, प्रेमलता अजय सोनी, प्रतिष्ठा विनोद सोनी मनीषा स्वर्णकार, अनुश्री स्वर्णकार, को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में शरदचंद्र पालन, आभिजात कृष्ण त्रिपाठी, सुरेश विचित्र, अभिमन्यु जैन, महेश स्थापक, मंजू सोनी, आलोक पाठक, बाबूलाल नामदेव, रामेश्वर मेहरा, शिव सिंह, राजेश मार्वेकर, चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव, हरीश नामदेव, विवेक साहू, उज्ज्वल चंदेल, अनिल बंशी गुप्ता, रवि वर्मा, ओंकार रजक, डॉ विनोद श्रीवास्तव उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन धीरज अग्रवाल और आभार ने व्यक्त किया।