श्री अतिरुद्र महायज्ञ: प्रजा को पुत्र मानकर करनी चाहिए सेवा, आचार्य कौशिक जी महाराज

जबलपुर दर्पण । जबलपुर के ग्वारीघाट में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान वृंदावन से पधारे पुराण मनीषी आचार्य कौशिक जी महाराज ने अपने प्रवचनों में समाज और शासन व्यवस्था से जुड़े गहन विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि राजा दशरथ की तरह प्रजा का पालन पुत्र समान करना हर शासक और नेता का कर्तव्य होना चाहिए। उनका यह संदेश आज के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ प्रजा का शोषण नहीं बल्कि पोषण करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति मानव शरीर धारण करके लोककल्याण और ईश्वर के कार्यों में योगदान नहीं देता, उसकी मृत्यु को व्यर्थ माना जाना चाहिए। धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षाओं पर जोर महाराज ने ब्राह्मणों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को वेदों की शिक्षा से जोड़ें। क्षत्रियों को राष्ट्र की रक्षा में तत्पर रहने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि शास्त्रों में क्षत्रिय को रक्षक बताया गया है। कार्तिक मास और यज्ञशाला की महिमा कार्तिक मास की महिमा पर बोलते हुए, आचार्य कौशिक जी ने बताया कि इस महीने में किया गया दान और पुण्य अन्य महीनों की अपेक्षा हजार गुना फलदायक होता है। श्रद्धालुओं ने इस दौरान यज्ञशाला की परिक्रमा की और एक लाख गौमाताओं के संरक्षण के लिए समर्पित अतिरुद्र समन्वय महायज्ञ में भाग लिया। इस आयोजन में व्यास पीठ का पूजन विधायक अशोक रोहाणी, नगर निगम अध्यक्ष रिकुंज विज, पंडित रामदेव शास्त्री सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने किया।