सर्वस्व समर्पित कर हरि शरण मे रहना भी वैराग्य : स्वामी नरसिंहदास महाराज

जबलपुर दर्पण। भक्त भगवान से विपत्ति मांगता है, क्योंकि भक्त के कष्ट दूर करने ही परमात्मा का प्राकट्य होता है। अति सुख के कारण भक्ति और हरि सेवा ह्रदय से विस्मृत हो जाती है। भगवान की कृपा से विष भी अमृत का कार्य करता है। श्रीकृष्ण की भक्ति करने के बाद वे एक ना एक दिन भक्त को साक्षात दर्शन देते हैं। जन्म के बाद चेतना- जागृति प्रभु कृपा से आती है। मोह माया, वासना से ग्रस्त मनुष्य एकाग्रचित्त होकर सत्संग सुनकर प्रभु का प्रेमी हो जाता है। उक्तउद्गार भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर नरसिंहपीठाधीश्वर डा नरसिंह दास महाराज ने व्यास पीठ से शिव योगी आश्रम भटौली ग्वारीघाट मे व्यक्त किए। संत समागम मे जगद्गुरू राघवदेवाचार्य जी महाराज, पूज्य डा बाल गोविंद शास्त्री, पूज्य भृगुदत महाराज, पूज्य डा राधे चैतन्य महाराज, महंत मनीषादास, पूज्य बालक दास महाराज, पूज्य अनूप देव महाराज के आशीर्वचन और सनिध्य प्राप्त हुआ। व्यास पीठ का पूजन विधायक विनय सक्सेना, अशोक मनोध्याय, राममूर्ति मिश्रा,जगदीश साहू, शिव कुमार मिश्र, सुनील भागचंदानी, डॉ. एच. पी. तिवारी, संजय नाहतकर, अजीत सिंह सीटू, विजय चौधरी, रचना केशरवानी , शीला चौबे, सुनीता पटेल, खेमचंद्र महावर, रामलाल रजक, शिव कुमार मिश्र, प्रकाश मांझी, पन्नालाल बर्मन, शंकर कुशवाहा, विष्णु पटेल, लोकराम कोरी की उपस्थिति रही।