नदियों के सूखने से भगवान की सृष्टि पर उत्पन्न हो रहा खतरा

जबलपुर दर्पण सिहोरा सतधारा। नर्मदा नदी की सहायक नदी हिरन नदी जीवन दायिनी मानी जाती है। सदियों वर्षों से कुंडम के तालाब से बहती आ रही है। परंतु आज हिरन नदी का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो रहा है। सैकड़ों किलोमीटर की लंबाई वाली हिरन नदी सूखकर कगार व डीह में परिवर्तित हो गई है। हिरन नदी सूखने से दो किलो मीटर दूरी तक वाटर लेवल ऊपरी जमीन से पांच सो फुट नीचे चला गया है। वहीं कई गांव की पेयजल व्यवस्था चरमरा गई है। वाटर लेवल कम होने से प्रशासन की नल जल योजना फेल हो रही है। प्रशासन के आला अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह भूल गये है। क्षेत्रवासियों ने प्रकाशन की गलतियां बताया कि नदियों की रेत निकालने वाले माफियों पर कार्यवाही नहीं होना, लगातार जमीन में बोरवेल से पानी निकाल कर दुरुपयोग करना, बारह माह नदियों में कृषि पंप से सिंचाई करना, जल संरक्षण योजना के तहत जल रोको अभियान शुरू नहीं करना, नदियों में जलाशय, स्टॉप- डेम योजना लागू नहीं करने जैसे जिम्मेदारी को प्रशासन पूरी तरह से भूल गया है। जिसमें नदियों के किनारे बसे गांव के लोगों का दैनिक जीवन जलसंकट से अस्त-व्यस्त हो रहा है।
नदियों में पानी नहीं होने पर मानव के दैनिक जीवन मैं जल उपयोग के साथ मछलियों का जीवन, पशु पक्षी, पेड़ पौधों का जीवन और जमीन बंजर होने पर प्राकृतिक सृष्टि का खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रशासन समय पर सावधान नही होता तो भविष्य मैं लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी तरफ बरगी डेम की दाय तट नहर से हिरन नदी में पिछले वर्ष पानी को पहुंचाया जाता था। परंतु इस वर्ष नहर का पानी नहर विभाग के द्वारा नहीं पहुंचाया जा रहा है। भारतीय किसान संघ के तहसील अध्यक्ष सुरेश पटेल, तहसील उपाध्यक्ष विजय बनाफर, तहसील सचिव अशीष उपाध्याय, भारतीय किसान संघ के नगर संयोजक गजेंद्र दीक्षित, देवेंद्र जैन, अध्यक्ष मनीष व्यवहार, सचिव विरेंद्र श्रीवास्तव, रामसेवक यादव, सुनील जैन, जयकुमार पांडे, सुजीत मिश्रा, सीता पटेल, अशोक पांडे, रमेश पटेल, सनमति जैन, प्रदीप पटेल, भीम पटेल, हरप्रसाद राय, महेश बैरागी, आदि पदाधिकारियों ने हिरन नदी में नहर का पानी पहुंचाने की मांग की है।
नहर विभाग ई एके तिवारी ने बताया की हिरन नदी में नहर का पानी पिछले वर्ष छोड़ा गया था। वर्तमान में पिछले दो दिन पूर्व बरगी डेम से पानी छोड़ दिया गया है। एक-दो दिन बाद हिरन में पानी पहुंच जाएगा।