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यही है पौधारोपण के लिए उपयुक्त समय

आलेख : आशीष जैन (उप संपादक) दैनिक जबलपुर दर्पण

आज के समय में प्रकृति के संतुलन एवं जीवन को बचाने के उद्देश्य से पौधारोपण करना अति आवश्यक हो गया है। मानसून की शुरुआत से ही शैक्षणिक संस्थाएं एवं सामाजिक संगठनों के द्वारा पौधारोपण के कार्यक्रम में विभिन्न जगह आयोजित किए जाते हैं। इस पौधे रोपण के कार्य को व्यापक रूप से करना चाहिए। पौधे हमारे भविष्य हैं और बहु उपयोगी साबित होते हैं। एक वृक्ष को काटना, छांटना, उसे बर्बाद करना बहुत आसान होता है परंतु एक नन्हे से पौधे को एक बड़े वृक्ष तक की स्थिति तक पहुंचाना बरसों की मेहनत और परिश्रम का परिणाम होता है। जीवन का आधार है वृक्ष, पृथ्वी का श्रृंगार है वृक्ष, प्राणवायु दे रहे हम सब को, ऐसे परम उदार हें वृक्ष…। एक वृक्ष हमसे लेता कुछ नहीं, हमेशा देता ही है चाहे वह प्राण वायु हो, इंधन हो या राहगीरों को छाया।

हम सभी को वृक्ष लगाने चाहिए यह हमारी प्रकृति संतुलन के लिए आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो बहुत जगह होती है, पौधारोपण या वृक्षारोपण के लिए होती। खेतों की मेड़, सड़कों के किनारे घर मकान के पास छोटी अतिरिक्त जगह आंगन आदि में लोग ग्रामवासी पौधारोपण वृक्षारोपण करते ही हैं। शहरों में निवास करने वाले लोगों को भी पौधारोपण वृक्षारोपण करना चाहिए शहरों में विभिन्न क्षेत्रों कालोनियों में गार्डन होते हैं। वहां पर सामूहिक रूप से खट्टे होकर या एकल पौधारोपण करना चाहिए और उसकी अच्छे से देखभाल भी करनी चाहिए।

पौधारोपण के लिए उपयुक्त समय बरसात का के शुरुआती दिन होते हैं यह समय पौधों के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस समय अनुकूल वातावरण परिस्थितियां पौधे को जल्दी पनपने या विकसित होने में मदद करती हैं। सिचाई के अगर उपयुक्त साधन हो तो 12 महीने पौधारोपण वृक्षारोपण किया जा सकता है। शहरवासियों के घरों के पास अतिरिक्त जगह आंगन आदि नहीं होते तब वे घरों की छतों में छोटे गमलों में पौधरोपण एवं वृक्षारोपण कर सकते हैं। सभी प्रकार के वृक्ष प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। जब यह पौधा बड़ा हो जाए तो उस पौधे को बड़े गार्डन मैं लगा कर लगा सकते हैं।

मैदानी क्षेत्रों में शीशम, सफेदा, नीम, सांगवान, पोपलर, आम, आंवला, शहतूत तथा जामुन के पौधे लगाना चाहिए। खारी या कल्लर भूमि में आंवला, बेर, नीम, सिरस, कीकर, पापड़ी, सफेदा, अर्जुन के। रेतीली भूमि के लिए बबूल, वमैन, खेजड़ी, सिरस। बंजर भूमि में खेजड़ी, विलायती कीकर तथा कम पानी वाली जगह पर बेर, वेरकेत, खजर आदि पौधे लगाने चाहिएं। किसान खेत की मेंढ और फसलों के बीच बेल, बेर, सफेदा, पीपल, जांडी, नीम, वेरकेत, जामुन, करौंदा जैसे पौधे लगा सकते हैं।

कुछ दिनों पहले जबलपुर कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने अतिक्रमण से मुक्त कराई गई भूमि मदन महल पहाड़ी पहुँचकर पौधारोपण के कार्य का जायजा लिया यहां 20 हजार पौधे लगाये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रकार के कार्यक्रमों से आम नागरिकों को भी प्रेरणा लेकर पौधारोपण अत्यंत उपयोगी कार्य में योगदान देना चाहिए।

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