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संपादकीय/लेख/आलेख

परेशानियाँ बेचारी

अगर हमारे जीवन में सदैव सकारात्मकता रहेगी तो कोई भी किसी तरह की कही भी कुछ भी परेशानियाँ हो वो हमारे पासनहीं आ सकेगी । क्योंकि हमारे पास सकारात्मकता का ऐसा कवच है जो हमको वह प्रभावित नहीं कर सकता है

एकलव्य का अंगूठा

स्कूल यूनीफॉर्म का मोजा पहनते ही पांच में से तीन अंगुलियां बाहर आ गईं। विधवा मां ने देखा तो उसकी समझ में नहीं आया कि क्या किया जाए।पर समझदारी तो उसने बेटे को बचपन में ही पिला दी थी। इसलिए दीनू

शुभ कर्म ही पूजा है

छिंद का अर्थ खजूर-ताड़ के पेड़ों से भरा और "वाड़ा" का अर्थ स्थान होता है। छिंदवाड़ा छिंद से भरा था इसलिए इसका नाम छिंदवाड़ा पड़ा। छिंदवाड़ा एक ऐतिहासिक धन संपदा से युक्त नगर है । इस शहर के एक ख्याति

श्रेष्ठता के तीन श्रेष्ठ लक्षण

अच्छे साधनों से आदमी की व्यवहार जगत में पहचान तो हो सकती है लेकिन वास्तव में सही से उसकी पहचान श्रेष्ठ साधना से ही होसकती हैं। मानव ऊँचे भवनों से लोक व्यवहार में भवनपति बन श्रेष्ठ हो सकता है लेकिन

दो उवाच

एक राहगीर आगे अपनी मंजिल की तरफ जा रहा था । अचानक से जोरदार बारिश आयी । उसने महल के छज्जों के नीचे आसरा चाहातो उसे संतरी ने भगा दिया । बारिश में वह आगे बढ़ा उसने भव्य अट्टालिका के पार्किंग प्लाट में

मुहूर्त का असमंजस

हम सब अंतराय व सभी कर्म से हर पल अप्रमत्त रहते हुए बचने का प्रयास करें।क्योंकि भगवान तीर्थंकर होते हुए भी सिर्फ बैलों की छिंकीबांधने का कहने मात्र से ,बिना रागद्वेष के भाव होते हुए भी ,बैलों को कष्ट

समय का इस्तेमाल हो सही

कहते है कि जिसने अपने जीवन में समय का सही से इस्तेमाल किया वह अपने जीवन में आगे बढ़ा हुआ हमको दिखा हैं । जीवन के इससंग्राम में हमको सही से अपने जीवन में समय की नब्ज टटोल कर आगे से आगे बढ़ना है ।

न छग से लेना ना शासन से लेना फिरकिस बात की सजा विद्युत पेंशनरों को…?

मध्यप्रदेश के विद्युत पेंशनरों का दुखड़ा भी अजीब हैं विद्युत पेंशनरों को महंगाई राहत समय पर नहीं मिलने का । इनकी महंगाई राहत की राशि, उपभोक्ता बिलों के साथ विद्युत कंपनियांपहले वसूल लेती है, अब उसमें

सेहत की बदहाली बता रही सच्चाइयां

भारत संयुक्त राष्ट्र की एक रपट में यह जानकारी दी गई है कि प्रसव एवं उसके पश्चात जच्चा-बच्चा की मौतों के मामले में जिन देशों की स्थिति बहुत नकारात्मक पाई गई है, उसमें भारत की तस्वीर सबसे खराब है। भारत

राष्ट्र चिंतनः अधिकारों की चाहत नहीं उत्तरदायित्व फिक्र होनी चाहिए

वर्तमान के इस दौर में जब देश में लोकतंत्र अपनी अस्मिता बचाने की जद्दोजहद में है वहां समाज का हर नागरिक अपने लिए अधिक से अधिक अधिकारों की इच्छा रखता है ताकि पूरी स्वतंत्रता का उपभोग कर सके। इसी के