संपादकीय/लेख/आलेख

शुभ कर्म ही पूजा है

छिंद का अर्थ खजूर-ताड़ के पेड़ों से भरा और “वाड़ा” का अर्थ स्थान होता है। छिंदवाड़ा छिंद से भरा था इसलिए इसका नाम छिंदवाड़ा पड़ा। छिंदवाड़ा एक ऐतिहासिक धन संपदा से युक्त नगर है । इस शहर के एक ख्याति प्राप्त अनेजा परिवार के यहां हम अपने साले मनोज मलिक के शादी के रिश्ते के लिए अपने सास-ससुर (स्व अविनाशी लाल मलिक, श्रीमती राजरानी मलिक) और मामा ससुर स्व इंद्रनाथ तनेजा के साथ लड़की देखने पहुँचे। मेजवान परिवार ने हम सबका स्नेहिल भाव से आदर सत्कार किया फिर एक बहुत ही शालीन, छरहरी सुरम्य बाला जब चाय की ट्रे लेकर आई तो हम सबने पहली ही नजर में उसे पसंद कर लिया। फिर बड़े धूमधाम से मनोज संग पूजा (मायके का नाम हरकेश) का विवाह संपन्न हुआ । नई नवेली दुल्हन पाकर हम सभी बहुत खुश हुए। ससुराल आते ही पूजा ने अपने मधुर व्यवहार से सबको बहुत सम्मान दिया और गृहस्थी का सारा उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लिया। अब मैं अपना मकान बनवा कर अपनी पत्नी शारदा और अपने तीनों बच्चों के साथ अधारताल रहने आ गया। राजू का मकान भी अधारताल में बन रहा था लेकिन अधूरा था‌। पूजा ने अपने शानदार प्रबंधन से इस मकान को पूरा करवाया और अपने सास ससुर और पति के साथ यहां आकर बस गई। समय रहते बेटा साकेत और बेटी वंशिता ने घर आंगन को खुशियों से भर दिया। अपने उत्तम व्यवहार और मिलन सारिता से पूजा ने मोहल्ले वालों का मन जीत लिया। एक एक बात नापतोल कर कहने का स्वभाव था पूजा का। पूजा की बातचीत में व्यवहार में आकर्षण ही आकर्षण था। अपने इन उत्तम गुणों के कारण वो अधारताल क्षेत्र की चहेती हो गई। पूजा के सुझाव पर सभी तीज त्यौहार मोहल्ले में एक साथ मनाए जाने लगे। होली में पूजा सभी महिलाओं को लेकर एक जगह पर इकट्ठे भोजन कराने के प्रयास में भी सफल हो गई। महिलाएं तो हर कार्यक्रम में अब पूजा की सलाह लेने लगी। परिवार बड़ा होने से आवश्यकता बढ़ने लगी। राजू के जनरल स्टोर से जितनी आमदनी होती थी उससे और भी अधिक आमदनी हो, पूजा ने तय किया कि वह भी कोई कार्य करेगी। पूजा ने घर में ही बुटीक खोल लिया। मधुरता और लोकप्रियता के कारण पूजा का काम धीरे-धीरे बढ़ने लगा। एवान के प्रोडक्ट भी पूजा सर्कुलेट करने लगी। नागपुर इंदौर दिल्ली आदि शहर जाकर नए नए डिजाइन की चीजें बुटीक में लाने लगी। अपने काम के साथ-साथ रसोई बनाना राजू का टिफिन देना और बच्चों को पढ़ाने में कोई भी असावधानी नहीं बरती पूजा ने। अपने द्वारा कमाए धन को भी पूजा ने बच्चों की अच्छी पढ़ाई में और मकान को रिनोवेशन में लगा‌ दिया। हर मंगलवार को राजू और बच्चों के साथ होटल आदि जाना पूजा ने अनिवार्य बनाए रखा। कमाना और खर्च करना कोई पूजा से सीखे। घर में कोई भी अतिथि सगा संबंधी रिश्तेदार आ जाए तो उसकी आवभगत में पूजा कमी नहीं करती। श्री राधा स्वामी की अनुयायी पूजा सच में राधास्वामी के आदर्श अपने‌ में समोए हुए है। हर किसी को साथ लेकर चलने की कला, हर प्रकार के अपवाद से परे, आदर्शों की पाठशाला, मनसा वाचा कर्मणा का दृष्टांत, परिवार में एकता का प्रतीक, बच्चों और पति का पूर्ण ध्यान देने वाली, इन सभी गुणों को अपने में समाहित किए हुए हैं पूजा। जीवनसाथी मनोज मलिक भी पूजा का बहुत ध्यान रखते हैं और उनकी हर अच्छी बात का समर्थन करते हैं। 24 जुलाई को पूजा का जन्म हुआ था। इस पुनीत अवसर पर हमारा पूजा को अनंत शुभकामनाएं, बधाइयां स्नेह और शुभाशीष।

रवीन्द्र मक्कड़ शारदारानी मक्कड़, तिलहरी

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