हाथ में आया पर मुंह ना लगा
आलेख:- आशीष जैन (उप संपादक) दैनिक जबलपुर दर्पण
एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है हाथ में आया, पर मुंह ना लगा। यह जबलपुर जिला पंचायत के चुनावों में फिर सत्य साबित हुई। नाम के लिए तो कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्यों ने बहुमत से विजय प्राप्त की थी। जिला पंचायत अध्यक्ष कांग्रेस का बनना लगभग तय माना जा रहा था। सभी कयास एवं अनुमान धरातल पर आ गए जब, मध्यप्रदेश में राज कर रही सत्ताधारी पार्टी का जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 7 से निर्वाचित प्रत्याशी संतोष बडकडे जिला पंचायत का अध्यक्ष निर्वाचित हो गया। यहां भारतीय जनता पार्टी छुपे रुस्तम की तरह चुपचाप अध्यक्ष बनाने में सफल हो गई और बहुमत प्राप्त कांग्रेस के सदस्यों के दल में सेंध लगाने में सफल हो गई। शहर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता एडवोकेट राज्यसभा सांसद, जबलपुर नगर अध्यक्ष एवं नवनिर्वाचित महापौर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, ग्रामीण अध्यक्ष तथा शहर से चार-चार विधायक होने के बाद भी अपनी ही पार्टी से जिला पंचायत सदस्य के रूप में निर्वाचित सदस्यों को एक सूत्र में नहीं बांध पाए। यहां सत्ता के सामने संगठन फीका पड़ गया। इस विषय में जब जानकारों से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि, कांग्रेश समर्पित जिला पंचायत निर्वाचित सदस्यों में से दो सदस्यों की अध्यक्ष के निर्वाचन मतदान में मत रद्द-निरस्त हो गये। जिसमें से एक सदस्य खुद जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की इच्छा रखता था और दूसरा सदस्य संभवतः पारिवारिक व्यापार को बचाने के चक्कर में या राजनैतिक दबाव में मत रद्द करा बैठ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यहां अनुमान लगाना शायद भूल गये होंगे।
पल-पल बदलते समीकरणों के बीच भाजपा के संतोष बरकड़े ने जीत का परचम लहराया। आखिरकार जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन में भाजपा ने हार को जीत में बदल दिया। इतिहास रचते हुये कांग्रेसियों को दिन में तारे दिखा दिऐ और जबलपुर महापौर की हार का बदला लेकर हिसाब-किताब बराबर कर दिया। कांग्रेस ने अपने जिला पंचायत सदस्यों की सुरक्षा के हिसाब से अन्य राज्य की होटल में आवभगत की जा रही थी। जिला पंचायत निर्वाचन के दौरान सभी को जबलपुर लाया गया था। संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के साथ नौ सदस्य पहुंचे थे और जीत पक्की थी। लेकिन तभी कांग्रेस के 2 वोट रिजेक्ट हो गए। और कांग्रेस का सारा समीकरण फेल हो गया है। लंबे चले राजनैतिक घमासान के बाद भाजपा ने अपना अध्यक्ष बनाने में सफलता हासिल कर ली है। भाजपा के संतोष बरकड़े को आठ मत प्राप्त हुए जबकि कांग्रेस के रामकुमार सैय्याम को सात मत मिले। कांग्रेस जीत के करीब होते हुए भी अपना समर्पित अध्यक्ष नही बना पाई। जिला पंचायत उपाध्यक्ष पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश पटेल के भाई विवेक पटेल उपाध्यक्ष बनाने में सफलता हासिल की।
खैर मध्य प्रदेश में जनपद पंचायत के बाद जिला पंचायतों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों के चुनावों में भी भाजपा ने बड़ी सफलता हासिल की है। 51 में से लगभग 41 जिलों में भाजपा के समर्थकों ने अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया। इस बड़ी जीत से भाजपा गदगद है। वहीं, कांग्रेस को लगभग दस जिलों में जीत मिलने की बात कही जा रही है। चुनावों में मिली करारी हार पर कांग्रेस को मंथन एवं अधिक मेहनत की आवश्यकता है।