जबलपुर दर्पण जबेरा ब्यूरो। दमोह जिले के सिग्रामपुर चौकी क्षेत्र में सिंगौरगढ़ जलाशय अपने आप में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, चारों ओर से पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी हुई है। बारिश के दिनों में हरियाली से घिरा सरोवर प्राकृतिक सौंदर्य से खिल उठता है। सुबह-शाम वन्य जीवों का विचरण अनायास देखा जा सकता, क्योंकि परिक्षेत्र में वन्य जीवों की प्यास बुझाने के लिए यह एक मात्र सरोवर है। सरोवर से लगा हुआ वीरांगना रानी दुर्गावती का किला है जिसके हाथी दरवाजे से होकर किले के अंदर रानी के स्नान गृह से लेकर दो छोटे-छोटे तालाब होने के अवशेष मिलते हैं।
रानी महल से लेकर प्राचीन मंदिर देवालय यहां की ऐतिहासिक धरोहर हैं। अनेकों देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के इर्द गिर्द बिखरे अवशेष यहां मिलते हैं। सिंगौरगढ़ किला के हाथी दरवाजे से लगा हुआ है। जहां पर जलाशय के तट पर संकट मोचन हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है। वहीं जलाशय वीरांगना रानी दुर्गावती के गौरवशाली इतिहास से जुड़ा हुआ है।
सुदूर फैली हरियाली के बीच विंध्याचल पहाड़ियों के बीच यह जलाशय अथाह जल से भरा रहता है। बताते हैं कि इसका जल कभी खाली नहीं होता है। प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर इस जलाशय में मछली पकड़ना, जाल डालना, नहाना और रासायनिक पदार्थ विस्फोटक के साथ प्रवेश पर निषेध है। सैकड़ों वर्ष पुराने गोंड साम्राज्य सिंगोरगढ़ का यह जलाशय रहस्यों की खान कहा जाता है, जो आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं।

