मनःस्थिति बदलने श्रीमद्भागवत का मनन आवश्यक : स्वामी अशोकानंद

जबलपुर दर्पण। श्रीमद्भागवत कथा मनःस्थिति बदलने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। मानसिक रूप से याचना करने से अच्छा दाता बनना चाहिए। श्रीहरि के आशीर्वाद से याचना करने की आवश्यकता नहीं होती, प्रभु के दर्शन मात्र से ही संपूर्ण प्रकृति के सुखों की प्राप्ति होती है। सप्त दिवसीय जीवन महोत्सव में आनंद के लिए निरंतर हरि नाम संकीर्तन करना चाहिए।
उक्त उद्गार नर्मदा मैया के तट पर भागवताचार्य स्वामी अशोकानंद जी महाराज ने श्री भक्ति धाम सेवा समिति, भागवत सेवा समिती के तत्वावधान में भक्ति धाम ग्वारीघाट में श्रीमद्भागवत कथा में पितृ पक्ष के सप्तम दिवस सुदामा चरित्र , श्रीमद्भागवत पुराण , गीता सार के व्याख्या में कहे। विराम दिवस पर राज्यमंत्री उपाध्यक्ष जन अभियान परिषद् म पप्र डॉ जितेन्द्र जामदार ,विधायक अशोक रोहाणी, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, नगर निगम अध्यक्ष रिंकु विज, पार्षद प्रतिभा भापकर, सहित श्रृद्धालु भक्त जनों ने आरती की। श्रीमद्भागवत पुराण, महाराज जी का पूजन अर्चन आरती पं नीलेश दाभोलकर, स्वापनिल गरे, निर्णय काले, पं जयेश टकलकर, पं वेदांत शर्मा, अरूण शर्मा, पप्पू लालवानी, पुष्पराज तिवारी, आशीष दुबे, विजय पंजवानी, उमेश पारवानी, घनश्याम, जगदीश दीवान सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त जनों की उपस्थिति रही। विशाल भंडारे में 56 भोग प्रसादी को हजारों श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया ।