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स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

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जबलपुर दर्पण। ब्रिटिश संधि के विरोधस्वरूप जनजाति भीलों का विरोध हो या फिर मानगढ़ धाम में गोविन्द गुरु द्वारा किये गये अहिंसक आंदोलन, चाहे वह टांट्या मामा की बात हो या फिर बिरसा मुंडा से लेकर हमारे अन्य क्रांतिवीरों की बात हो, देश की आजादी, एकता व अखंडता में जनजाति के नायकों ने अपना अविस्मरणीय योगदान रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों ने यातनाएं सही हैं, बलिदान दिया है। जब जब भी आवश्यकता हुई है जनजाति के लोगों ने अपने राष्ट्र के आवश्यक योगदान किया। बावजूद इसके जनजाति के लोगों के संघर्ष, बलिदान, योगदान का इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान नही दिया गया है। मुझे विश्वास है कि ऐसे आयोजनों से जनजाति समाज की गौरवशाली परंपरा और स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष व बलिदान से सर्वसमाज रूबरू होगा और जनजाति समाज भी महिमा मंडित होगा। ये विचार फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, भारत सरकार ने सोमवार को रानी दुर्गावती विष्वविद्यालय के पं. कुंजीलाल दुबे प्रेक्षागृह में आयोजित ’स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।
’राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली’ एवं ’आदिवासी पीठ,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ’स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी, प्रदर्शनी एवं छात्र संवाद कार्यक्रम का षुभारंभ विवि के प्रेक्षागृह में मंचासीन अतिथियों
फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, भारत सरकार, कार्यक्रम अध्यक्ष रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो, कपिल देव मिश्र, मुख्य वक्ता लक्ष्मण सिंह मरकाम, उपसचिव, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश, डॉ. मीनाक्षी शर्मा, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि प्रो. लीला भलावी क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्च षिक्षा जबलपुर संभाग, कार्यक्रम के संयोजक सोहन सिंह, कुलसचिव प्रो. ब्रजेष सिंह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. विवेक मिश्रा, विषय विशेषज्ञ, विवि आदिवासी पीठ निदेषक डॉ. विशाल ओमप्रकाश बन्ने द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण, द्वीप प्रज्जवलन एवं भारत माता, वीरांगना रानी दुर्गावती, भगवान बिरसा मुंडा के चित्रों पर माल्यापर्ण के साथ हुआ। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा डॉ. नुपुर निखिल देषकर द्वारा संपादित पुस्तक महाकौषलः महान नारियों का उत्सर्ग का विमोचन किया। आयोजन में ’रानी दुर्गावती गान’, ’फिल्म आरआरआर का वीडियो सॉन्ग का प्रदर्शन एवं एनसीएसटी से संबंधित वीडियो का प्रदर्षन किया गया।

संगोष्ठी में लक्ष्मण सिंह मरकाम, उपसचिव, मुख्यमंत्री मप्र ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि जनजातीय समाज से आने वाले हमारे नायकों के साथ इतिहास में न्याय नहीं किया गया है। सिद्धू कान्हू, बुद्ध भगत, शंकर शाह, तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, कालीबाई, सेंगाभाई, नानाभाई खांट जैसे वीरों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन इतिहास में जिस तरह से उनका वर्णन किया जाना चाहिए था वैसा नहीं किया गया। अंग्रेजों ने साजिश के तहत जनजाति समाज की गौरवशाली परंपरा को झुठलाकर उन्हें अपराधिक जनजाति घोषित कर दिया। दरअसल ऐसा इसलिए था, क्योंकि जनजाति समाज ने कभी उनकी गुलामी को स्वीकार ही नहीं की। उन्होंने कहा की विष्वविद्यालयों के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रमों को करने का उदे्श्य भी यही है कि ताकि समाज को स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के योगदान का पता चल सके। साथ ही विष्वविद्यालय में जनजातीय विषयों से जुड़े विषयों पर अनुसंधान को बढ़ावा मिले और जनजाति समाज से आने वाले छात्र भी ज्यादा से ज्यादा अनुसंधान में शामिल हों। उन्होंने कहा कि युवाओं को भारत के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
एनसीएसटी के बारे में दी विस्तृत जानकारी-
रादुविवि में आयोजित कार्यक्रम विषय विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी शर्मा ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग गठन के उद्देश्य,कर्तव्य, अधिकार और कार्यशैली पर प्रकाश डाला। उन्होंने आयोग के अधिकार क्षेत्र का विवरण देते हुए कहा कि आयोग को जनजातीय समुदाय के विकास, संरक्षण, आर्थिक और सामाजिक विकास के सभी पहलुओं की जाँच और निगरानी के लिए व्यापक अधिकार प्राप्त हैं। आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त हैं। आयोग के समक्ष स्वयं अथवा किसी अन्य के लिए भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। प्रारंभ में आयोजन की प्रस्तावना विवि अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. विवेक मिश्र ने प्रस्तुत की।

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