जबलपुर दर्पणमध्य प्रदेश

प्राकृतिक एवं जैविक खेती को केन्द्र बिन्दु में रखकर करें अनुसंधान- डॉ. जी. के. कौतू

जबलपुर दर्पण। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन की सद्प्ररेणा एवं संचालक अनुसंधान सेवायें डॉ. जी. के. कौतू की अध्यक्षता एवं मार्गदर्शन में कृषि महाविद्यालय के पौध प्रजनन एवं आनुवांशिकी विभाग के सेमीनार हॉल में आज शुक्रवार को रबी मौसम की प्रमुख फसलें गेहूं, चना, मक्का, अलसी एवं अन्य की अखिल भारतीय फसल अनुसंधान परियोजना के कार्यो की समीक्षा एवं पुनर्विचार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संचालक अनुसंधान सेवायें डॉ. जी. के. कौतू ने कहा कि हम सभी वैज्ञानिकों की प्राथमिकता है कि प्राकृतिक व जैविक खेती के अनुसार जैनेटिक प्लान्टिग मटैरियल तैयार करें, साथ ही बदलते मौसम में ज्यादा उपज, हेतु वैरायटी तैयार करें, इसके अलावा व्यावसायिक दृष्टिकोण से उपयोगी किस्मों व गुणवत्ता युक्त एवं दलहनी फसलों के शोध पर जोर देने की बात कही। उन्हांेने बायोफर्टिलाइजर का बेहतर उपयोग फसलों की खेती में समावेश हेतु ध्यान देने की भी बात कही है। बैठक में आयोजक पौध प्रजनन एवं आनुवांशिकी विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. आर. एस. शुक्ला ने बताया कि यह समीक्षा बैठक को आयोजित करने का उद्देश्य विश्वविद्यालय के विभिन्न केन्द्रों में, जो परियोजनायें क्रियान्वित हो रही हैं, उसके कार्यो की शोध की गुणवत्ता व क्वॉलिटी कार्यो को बेहतर ढंग से रबी मौसम में संचालित करना है, ताकि हमारे अन्नदाता कृषकों को गुणवत्ता से पूर्ण बीज आदान की प्राप्ति हो सकें व समयानुकुल कार्यो की प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण उद्देश्य है। साथ ही डॉ. शुक्ला ने बताया कि विश्वविद्यालय में संचालित 35 ए.आई.सी.आर.पी. परियोजना में से 15 परियोजना फसल सुधार के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के अलग-अलग केन्द्रों में संचालित हो रही हैं।
इस समीक्षा बैठक में विशेष आमंत्रण में उपस्थित डॉ. एच. के. राय प्रमुख वैज्ञानिक मृदा विज्ञान विभाग ने सलाह दी कि, पोषक तत्वो का बेहतर उपयोग एवं जैविक खेती को ध्यान में रखकर कार्य हो। डॉ. एस. बी. अग्रवाल वरिष्ट वैज्ञानिक एग्रोनामी द्वारा बताया गया कि, रबी फसलों में खरपतवारों की समस्याओं से उपज व बीज गुणवत्ता खराब होती है, अतः इस दिशा में फसल प्रौद्योगिकी का उचित उपयोग कर, प्रबंधन अतिआवश्यक है। जवाहर जैव उर्वरक केन्द्र के वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ. शेखर सिंह बघेल ने सभी को जानकारी देते हुये कहा कि, विश्वविद्यालय द्वारा सस्ता, प्रकृति अनुकूल, गुणवत्ता से पूर्ण जैविक जैव उर्वरक को रबी की फसलों में प्रयोग व ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशीष गुप्ता एवं आभार प्रदर्शन डॉ. अनीता बब्बर, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा किया गया। एक दिवसीय रबी फसलों की समीक्षा बैठक में पॉवर प्वाइंट प्रदर्शन द्वारा विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम में डॉ. अनीता बब्बर जबलपुर, डॉ. के. के. मिश्रा एवं डॉ. विनोद कुमार, पवारखेड़ा, डॉ. रूद्र सेन सिंह, सागर, डॉ. कंचन भान, डॉ. विकास गुप्ता जबलपुर, डॉ. व्ही. के. पराड़कर छिदवाड़ा, डॉ. डी. के. प्यासी, सागर, डॉ. स्तुति शर्मा, डॉ. निधि पाठक जबलपुर, डॉ. स्मिता पुरी आदि द्वारा विभिन्न परियोजनाओं की पी. पी. टी. द्वारा सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम में रिपोर्टियर की भूमिका डॉ. शिवरामा कृष्णन वैज्ञानिक, एवं डॉ. आशीष कुमार गुप्ता ने निभाई। इस दौरान डॉ. मनोज श्रीवास्तव प्रमुख वैज्ञानिक, डॉ. अंजय सिंह, डॉ. दिनेश, डॉ. पंचेश्वर सिंह एवं अन्य वैज्ञानिक व सहयोगियों की उपस्थिति रही।

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